हिंदू धर्म में भाई-बहन का संबंध सबसे पवित्र माना जाता है। लेकिन आप को जानकर हैरानी होगी की हमारे ही देश में एक समाज ऐसा है। जहां पर भाई बहन के बीच शादी का रिवाज है और ऐसा करने पर उनसे जुर्माना वसूला जाता है। धुरवा आदिवासी समाज में शादी को लेकर ये प्रथा है कि भाई बहन की शादी करायी जाती है। ऐसा नहीं करने पर जुर्माना लगता है। हालांकि इस परंपरा को खत्म करने की मांग समाज के भीतर ही उठ रही है धुरवा समाज में ममेरे और फुफेरे भाई बहनों में शादी करने का रिवाज है।
ये बाल विवाह को भी मानते हैं। ये लोग अग्नि को साक्षी नहीं मानते बल्कि पानी को साक्षी मानकर सभी रस्मों को निभाते हैं। ये परंपरा काफी लंबे वक्त से चली आ रही है। प्रकृति को देवी मानने वाले ये लोग शादियों में बिल्कुल फिजूलखर्च नहीं करते हैं। ये लोग कांकेर नदी जो इलाके में बहती को मां मानते हैं और उसी को साक्षी मानकर शादी कर लेते है। रस्म में सिर्फ दूल्हा दुल्हन पर नदी का पानी छिड़क दिया जाता है और शादी की रस्म पूरी हो जाती है। खास बात ये कि इस समाज में दहेज पर पाबंदी है। चेचेर-फुफेरे भाई बहनों में शादी करायी ही इस लिए जाती है, कि दहेज ना देना पड़े। दूल्हा दुल्हन बचपन से एक दूसरे को जानते और समझते हैं और फिर गृहस्थ जीवन जीते हैं। इस परंपरा को निभाने वाला धुरवा समाज, छत्तीसगढ़ का स्थानीय निवासी माना जाता है।