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ब्रिटेन के टैंकों की मदद से रूस को मुंहतोड़ जवाब दे सकता है यूक्रेन, नाम है Challenger 2

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 19 2023 3:27PM | Updated Date: Jan 19 2023 3:27PM
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पोर्ट्समाउथ। रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। फिलहाल इसका अंत नहीं दिख रहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी यूक्रेन को कोई राहत देने को तैयार नहीं है। उन्होंने साफ कह दिया है कि मॉस्को यूक्रेन पर जीत हासिल करेगा। दोनों देशों के बीच जंग को 11 महीने पूरे हो गए हैं। रूस को मैदान में कड़ी टक्कर देने के लिए कुछ समय से यूक्रेन अपने सहयोगी देशों से बेहतर हथियार जैसे कि लंबी दूरी के तोपखाने व एयरक्राफ्ट की मांग कर रहा है। हथियारों की लिस्ट में मुख्य युद्धक टैंक (एमबीटी) सबसे ऊपर हैं। जो बड़ी बंदूकों, स्पीड और हैवी आर्मर के साथ जमीन पर युद्ध में विपक्षी को ध्वस्त करने की क्षमता रखते हैं।अब तक, यूकेन को पोलैंड और चेक रिपब्लिक की तरफ से लड़ाई का सामना करने के लिए T72 टैंक दिए गए थे। वहीं, ब्रिटेन ने भी यूक्रेन का साथ देने के लिए अपने चैलेंजर 2 टैंक भेजने की घोषणा की थी। 16 जनवरी को ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वैलेस ने बताया कि वो अपने 227 चैलेंजर 2 टैंकों में से 12 को यूक्रेन भेज रहे हैं। माना जा रहा है कि ये ज्यादा प्रभावी हैं और रूसी हमलों का डटकर सामना कर सकते हैं। जर्मनी भी पुराने लियोपार्ड 2ए4 वेरिएंट टैंक को यूक्रेन भेजने की सोच रहा है। पश्चिमी देश और नाटो इस वक्त यूक्रेन के साथ पूरे दमखम से खड़े हैं।
 
जर्मनी और अमेरिका ने भी हाल ही में एलान किया कि वो यूक्रेन को मार्डर और ब्रैडली नाम के इन्फेंट्री लड़ाकू वाहन (आईएफवी) भेजेंगे। ये आईएफवी युद्ध में इन्फेंट्री सैनिकों को ले जाते हैं। ये अपने आप में बहुत प्रभावी हैं। ब्रैडली और मार्डर जैसे लड़ाकू वाहन ऑटोमैटिक तोपों और मशीनगनों से लैस हैं। युद्ध मैदान में ये पैदल सेना के लिए कवरिंग फायर प्रदान करते हैं। टैंकों के लिए अकेले आईएफवी सुरक्षित नहीं हैं। इसलिए, युद्ध के दौरान आईएफवी और टैंकों को साथ मिलकर काम करना जरुरी है, तभी वो मैदान में सफलता हासिल कर सकते हैं।इसके अलावा, जर्मनी की तरफ से भेजे जाने वाले टैंक पुराने तो हैं, लेकिन ये रूस के टैंकों के खिलाफ प्रभावी साबित होंगे। इन्हें 1986 से 1992 तक बनाया गया था। हालांकि जब तक इसमें अतिरिक्त आर्मर को जोड़ा नहीं जाता है, तब तक ये टैंक रूस के एटीजीएम के सामने कमजोर साबित हो सकते हैं। तुर्की को सीरिया में इसका अनुभव मिल चुका है। अनुमान के मुताबिक रूस ने यूक्रेन में इस्तेमाल किए गए टैंकों में से लगभग दो-तिहाई को खो दिया है।
 
वहीं, आगे इस युद्ध में रूस का नया टैंक T90M यूक्रेन के लिए बड़ा खतरा होगा। इसे पहली बार 2017 में सामने लाया गया था। फिलहाल इसे वैगनर समूह (रूस में भाड़े की सेना) द्वारा उपयोग किया जाता है। यूक्रेन ने अपने पश्चिमी सहयोगियों से 300 टैंक और 500 आईएफवी के साथ-साथ कम से कम 700 नए आर्टिलरी सिस्टम की मांग की है। उसका मानना है कि इससे उन्हें अपने कब्जे वाली जमीनों को आजाद कराने की शक्ति मिलेगी। विश्लेषकों का कहना है कि भविष्य में यूक्रेन नाटो के करीब भी पहुंच सकता है। इस वक्त नाटो में कुल 30 देश हैं। यूक्रेन अभी तक इस संगठन का हिस्‍सा नहीं है। रूस ने हमेशा यूक्रेन की सदस्‍यता का विरोध किया है।गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच हो रहे इस युद्ध में हजारों लोग मारे जा चुके हैं, लाखों लोग विस्थापित हुए हैं और कई शहर मलबे में बदल चुके हैं। यूक्रेन और उसके सहयोगियों ने क्षेत्र को हड़पने और उसकी स्वतंत्रता को खत्म करने के लिए रूस पर अकारण युद्ध का आरोप लगाया है। वहीं, मॉस्को ने पिछले हफ्ते पूर्वी यूक्रेनी नमक खनन शहर सोलेदार पर कब्जा करने का दावा किया था। लेकिन, यूक्रेनी सरकार ने इसे खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि शहर में अभी भी उसकी कुछ मौजूदगी है और लड़ाई जारी है।
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