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अफगानिस्तान मुद्दे पर पाक-ईरान के नेताओं ने की ये चर्चा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 18 2021 12:16AM | Updated Date: Sep 18 2021 12:16AM
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नई दिल्ली। अफगानिस्तान को लेकर पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से मुलाकात की। इस दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान पर विस्तार से चर्चा की। इसे लेकर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि ताजिकिस्तान के दुशांबे शहर में दोनों नेताओं ने शंघाई सहयोग संगठन की मीटिंग से इतर भेंट की। इस दौरान अफगानिस्तान और अन्य द्विपक्षीय मामलों पर विस्तार से वार्ता हुई। इमरान खान ने शांतिपूर्ण, स्थायी और समृद्ध अफगानिस्तान में अपने देश के महत्वपूर्ण हित को रेखांकित किया।
शंघाई सहयोग संगठन के सदस्यों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ताजिकिस्तान गए हैं। इस शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान के भविष्य पर मुख्य रूप से चर्चा की गई। आपको बता दें कि तालिबान ने पिछले महीने अफगानिस्तान पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया था। इसके बाद अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार का भी ऐलान हो गया है। अन्य देशों की तरह ही पाकिस्तान ने भी अभी तक तालिबानी सरकार को मान्यता नहीं दी है। इसे लेकर पाकिस्तान ने कहा है कि इस संबंध में वैश्विक समुदाय के साथ विचार-विमर्श के बाद ही किसी फैसले का ऐलान किया जाएगा। बयान के मुताबिक, प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि अफगानिस्तान की सुरक्षा, मानवीय और आर्थिक स्थिति को स्थिर करने को तत्काल कदम उठाना जरूरी है। 
 
वहीं, ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने कहा कि तेहरान देश में शांति और स्थिरता स्थापित करने के एक साधन के रूप में अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार के गठन का समर्थन करता है। ईरानी राष्ट्रपति की वेबसाइट के अनुसार, रायसी ने गुरुवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए ताजिकिस्तान की यात्रा के दौरान यह टिप्पणी की।
 
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ अपनी बैठक में, रायसी ने कहा कि अफगानिस्तान की समस्याओं को हल करने की कुंजी एक समावेशी सरकार बनाना और देश के मामलों में विदेशी हस्तक्षेप को रोकना है। उन्होंने कहा कि हमें अफगानिस्तान को एक ऐसी सरकार बनाने में मदद करने की कोशिश करनी चाहिए जिसमें देश के लोगों की इच्छा के आधार पर सभी समूह शामिल हों। अफगानिस्तान में अमेरिकी और पश्चिमी बलों की उपस्थिति के 20 साल के इतिहास में 35,000 से अधिक बच्चों और हजारों अफगान पुरुषों और महिलाओं के विनाश, विस्थापन और हत्या के अलावा कोई परिणाम हासिल नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि अमेरिकी बलों की वापसी अफगानिस्तान में एक लोकप्रिय सरकार के गठन और देश और क्षेत्र में शांति स्थापित करने का एक ऐतिहासिक अवसर है।
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