नई दिल्ली। कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है। चीन के वुहान से निकले कोरोना वायरस ने आज पूरी दुनिया को अपने चपेट में ले लिया है। चीन की मीडिया के मुताबिक चीन ने वुहान समेत अपने कई शहरों में तेजी से फैले कोरोना वायरस को काफी हद तक नियंत्रित कर लेने का दावा किया है लेकिन दुनिया के कई देश युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं।
इटली जैसे देश में सोमवार तक कुल 5,477 लोगों की इस वायरस से मौत हो चुकी है। अमेरिका में कुल 582 और भारत में 10 लोगों की मौत के मामले सामने आये हैं। ऐसे में जापान कोरोना के खिलाफ अपने प्रयासों की वजह से चर्चा में है। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर जापान ने ऐसा क्या किया जिससे वहां कोरोना की स्पीड को ब्रेक लगा है। हैरानी की बात ये है कि जापान ने ना ही लोगों को क्वारंटीन में रहने के लिए कहा और ना ही आइसोलेशन पर भेजा। इसके अलावा जापान ने लॉकडाउन भी नहीं किया, फिर भी वहां जीवन बिल्कुल सामान्य गति से चल रहा है।
जापान ने दुनिया से उलट उन क्षेत्रों की पहचान सबसे पहले की, जहां कोरोना से पीड़ित मरीज थे। जापान ने ऐसे मरीजों के संपर्क में आने वाले लोगों को फौरन चिन्हित किया और केवल उन्हीं लोगों की टेस्टिंग की जिनमें वायरस के लक्षण दिख रहे थे। 22 मार्च तक जापान में 1000 लोग कोरोना से पीड़ित थे जिसमें से 50 लोगों की मौत भी हो चुकी है। फिर भी जापान ने काफी हद तक इस रोग के फैलने पर रोक लगाई है। चीन के बाद कोरोना जापान पहुंचा था लेकिन बाकी देशों की अपेक्षा में जापान ने इस रोग पर काफी हद तक काबू पाया।
जापान ने जनवरी के दूसरे हफ्ते में ही ऑफिसों में सैनिटाइजर को अनिवार्य कर दिया था। लोगों ने भी फौरन मास्क का प्रयोग करना शुरू कर दिया था। जनता ने भी सरकारी गाइडलाइन को फौरन अपनाना शुरू कर दिया था। इसका प्रभाव ये पड़ा कि कोरोना वहीं ठहर गया और ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में नहीं ले सका. जापान सरकार ने संक्रमण की चेन नहीं बनने दी।