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बुंदेली लोग करें अपनी भाषा का सम्मान तभी होगा बुंदेली का विकास : राजा बुंदेला

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 29 2020 1:22PM | Updated Date: Feb 29 2020 1:23PM
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झांसी। उत्तर प्रदेश की वीरांगना नगरी झांसी में चल रहे  बुंदेलखंड साहित्य महोत्सव -2020 में शिरकत करने आये जाने माने अभिनेता और राजनीतिज्ञ राजा बुंदेला ने बुंदेली भाषा को लेकर अपने दर्द का व्याख्यान करते हुए कहा कि यहां लोग ही नहीं चाहते कि बुंदेली का विकास हो। बुंदेलखंड साहित्य के पहले महोत्सव में हिस्सा लेने आये अभिनेता ने शनिवार को यूनीवार्ता से खास बातचीत में बुंदेली भाषा और साहित्य के बहुत समृद्ध होने के बावजूद वर्तमान में इसकी बेहद खराब स्थिति पर खुलकर अपनी पीड़ा बयां करते हुए कहा ‘‘किसी भी संस्कृति,सभ्यता और परंपराओं को जिंदा रखने के लिए उसकी भाषा का जिंदा होना बेहद जरूरी है। 

बिना भाषा के कोई संस्कृति खड़ी नहीं हो सकती कोई परंपरा जिंदा नहीं रह सकती और बुंदेली लोगों की सोच के पिछड़ेपन ने इस भाषा को बड़ा नुकसान पहुंचाया।। यहां का आदमी बुंदेली बोलने में शर्मता है उसे लगता है ऐसा करने से उसे पिछड़ा, गंवार समझा जायेगा इसलिए धीरे धीरे उसने ही अपनी भाषा का तिरस्कार और त्याग शुरू कर दिया। दूसरा लेकिन एक सबसे बड़ा कारण यहां के  राजनेताओं को अपनी भाषा और संस्कृति की महानता की समझ नहीं होना है। इस कारण उन्होंने अपनी भाषा और संस्कृति को हाशिये पर रखकर दूसरों की संस्कृति को यहां स्थापित करने की कोशिश की है। यहां के लोग ही नहीं चाहते बुंदेली का विकास। 

उन्होंने कहा कि अपने देश में कम से कम दस ऐसा आदर्श हैं जिन्होंने अपनी भाषा, लोकनृत्य अपने खानपान को ने केवल देश के दूसरे हिस्सों में जाकर भी बल्कि विदेशों तक में जिंदा रखा और आज वह भाषाएं सम्मानित स्थान पर हैं चाहें बात पंजाबी की हो यहा तमिल या तेलुगू की। बुंदेली व्यक्ति को अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व तो होना दूर की बात बल्कि उसे शर्म आती है और इसी कारण वह खड़ी बोली बोलेगा, शुद्ध हिंदी बोलने का प्रयास करेगा लेकिन बुंदेली ही नहीं बोलेगा। ऐसे में जब बुंदेलखंड के लोग ही अपनी भाषा को, पहनावे को और खानपान को सम्मान नहीं देंगे  तो दूसरा कोई आपको सम्मान क्यों देगा।

साहित्य महोत्सव के महत्व को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में बुंदेला ने कहा कि यहां आकर मुझे पता चला कि 20 से 22 साल बाद ऐसा  कोई महोत्सव झांसी की धरा पर हो रहा है और एक बुंदेलखंडी होने के नाते मुझे इस पहल पर बहुत गर्व है देर से ही सही लेकिन दुरूस्त आये। यह समय भी बुंदेली भाषा को आवश्यक सम्मान दिलाने के लिए बहुत अच्छा है। सिनेमा और टीवी में भी बुंदेलखंडी का प्रयोग इस समय हो रहा है। टीवी में तो अलग अलग चैनलों पर दो सीरियल पूरी तरह से इसी भाषा पर आधारित आ रहे हैं। अब समय है कि बुंदेली से जुड़े जो भी कार्यक्रम हो रहे हैं उससे हम जुड़ें और सफल बनायें। इस आयोजन का हिस्सा बनकर में बहुत खुश हूं और इससे बुंदेलखंड राज्य की लड़ाई को एक नया आयाम मिला है। साहित्य के लोग ,कलम के धनी लोग यहां की व्यथा और व्यवस्था पर कटाक्ष करेंगे।

 
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