टोक्यो ओलंपिक के पदक विजेताओं को दिल्ली के अशोका होटल में सोमवार को जोरदार तरीके से स्वागत किया गया। सम्मान समारोह में खेल मंत्री ने उन्हें स्मृति चिन्ह और शॉल भेंट कर सम्मानित किया। इस दौरान 'खेलों के महाकुंभ' में कामयाबी की नई इबारत लिखने वाले नीरज चोपड़ा ने एक खुलासा किया। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक प्रदर्शन के बाद उन्हें दर्द हो रहा था, लेकिन ऐतिहासिक रिजल्ट के बाद उन्हें उस दर्द को सहने में कोई तकलीफ नहीं हुई। बता दें कि नीरज ने 87.58 मीटर का थ्रो फेंक भारत को ओलंपिक के इतिहास में पहला गोल्ड दिलाया।
नीरज ने बताए स्वर्ण पदक के असल मायने नीरज चोपड़ा ने कहा, 'मुझे पता था कि मैंने कुछ खास कर दिया है। असल में मैंने सोचा कि मैंने अपना निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। मेरी थ्रो काफी अच्छी गई थी। उन्होंने कहा, 'अगले दिन मेरा पूरा बदन दुख रहा था लेकिन यह दर्द सहन करने में कोई समस्या नहीं थी।'
नीरज ने आगे कहा, 'ये मेरा नहीं, पूरे देश का मेडल है। नीरज ने कहा, 'मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि अपना 100 फीसदी दो और घबराओ नहीं, विरोधी चाहे कोई भी हो। आपको बस यही करने की जरूरत है और इस स्वर्ण पदक के यही मायने हैं।'
नीरज ने खत्म किया 121 साल का इंतजार भारत का एथलेटिक्स में ओलंपिक पदक जीतने का पिछले 121 साल का इंतजार खत्म कर दिया। नीरज ओलंपिक में ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतने वाले देश के पहले और व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं। इससे पहले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक 2008 में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीता था।
87.58 मीटर दूर भाला फेंक जीता गोल्ड नीरज ने पहले प्रयास में 87.03 मीटर भाला फेंका था और वह शुरू से ही पहले स्थान पर चल रहे थे। वहीं, दूसरे प्रयास में नीरज ने 87.58 मीटर भाला फेंका। यहीं उनका गोल्ड मेडल पक्का हो गया था। तीसरे प्रयास में वह 76.79 मीटर भाला ही फेंक पाए जबकि चौथे प्रयास में फाउल कर गए। उन्होंने छठे प्रयास में 84.24 मीटर भाला फेंका।