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ज्वैलर्स को राहत, सोने के पुराने आभूषण की बिक्री में मार्जिन पर ही लगेगा जीएसटी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 18 2021 7:01PM | Updated Date: Jul 18 2021 7:01PM
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नई दिल्ली। जौहरियों को सेकेंड हैंड या पुराने सोने के आभूषणों की पुन:बिक्री पर होने वाले मुनाफे के लिए ही माल एवं सेवा कर जीएसटी) का भुगतान करना होगा। अग्रिम निर्णय प्राधिकरण एएआर), कर्नाटक ने यह व्यवस्था दी है। बेंगलुरु की आद्या गोल्ड प्राइवेट लि.ने एएआर में आवेदन दायर कर यह जानकारी मांगी थी कि यदि वह किसी व्यक्ति से पुराना या सेकेंड हैंड सोने का आभूषण खरीदती है और बिक्री के समय उस उत्पाद के रूप या प्रकृति में कोई बदलाव नहीं होता है। 

यानि उसमें कोई बदलाव नहीं किया जाता, तो क्या जीएसटी का भुगतान खरीद और बिक्री मूल्य के अंतर पर ही करना होगा। मामले पर एएआर की कर्नाटक पीठ ने निष्कर्ष दिया कि जीएसटी सिर्फ बिक्री मूल्य और खरीद मूल्य के मार्जिन पर ही देय होगा, क्योंकि आवेदक द्वारा इस आभूषण को गलाकर बुलियन में नहीं बदला जा रहा है और बाद में नया आभूषण नहीं बनाया जा रहा है। बल्कि आवदेक पुराने आभूषण को साफ और पॉलिश कर रहा और उसके रूप में कोई बदलाव नहीं कर रहा है। 

विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से सेकेंड हैंड आभूषणों की पुन:बिक्री पर देय जीएसटी में कमी आएगी। अभी उद्योग खरीदार से प्राप्त सकल बिक्री मूल्य के तीन प्रतिशत के बराबर जीएसटी लेता है। एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा, 'ज्यादातर जौहरी आम लोगों या गैर-पंजीकृत डीलरों से पुराने आभूषण खरीदते हैं। इससे जौहरियों के हाथ में कर को क्रेडिट करने की जरूरत समाप्त हो जाती है।' मोहन ने कहा, 'कर्नाटक एएआर व्यवस्था दी है कि खरीद मूल्य और बिक्री मूल्य के अंतर पर ही जीएसटी देय होगा। इससे उद्योग पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ेगा और अंतिम उपभोक्ता के लिए कर की लागत घटेगी।'

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