नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2020 में जो प्रस्ताव रखे हैं उनमें टैक्स सेविंग स्कीमों में निवेश की अधिकतम सीमा भी तय करना है। इस प्रस्ताव के मुताबिक, टैक्स बेनिफिट देने वाली तीन निवेश स्कीमें ईपीएफ, नेशनल पेंशन स्कीम व रिटायरमेंट फंड अब टैक्स के दायरे में आ सकते हैं। इसमें स्पष्ट रूप से निवेश की अधिकतम सीमा 7.5 लाख रुपये की तय कर दी गई है। इसका असर केवल हाई सैलरी पैकेज वाले कर्मचारियों पर ही पड़ेगा। 1 अप्रैल, 2021 से एनपीएस, रिटायरमेंट फंड तथा प्रविडेंट फंड में एक साल में कुल निवेश की अधिकतम सीमा 7.5 लाख रुपये होगी और अगर इसके ऊपर निवेश किया जाता है तो वह टैक्सेबल होगा।
बजट में यह प्रस्ताव भी किया गया है कि पिछले साल कमाई गई ब्याज और लाभांश की रकम भी टैक्सेबल होगी। इसके पहले पीएफ और एनपीएस में नियोक्ता द्वारा किया जाने वाला निवेश पूरी तरह से टैक्स फ्री था और इसकी कोई सीमा नहीं थी, सिर्फ यह सीमा थी कि नियोक्ता कर्मचारी के सीटीसी वेतन के 12 फीसदी के बराबर पीएफ में योगदान करेगा। गौरतलब है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आम करदाताओं को इस बजट से काफी उम्मीदें थीं, हालांकि वित्त मंत्री ने टैक्स स्लैब को लेकर जो उपाय किए हैं उससे लोगों का भ्रम बढ़ा है।