नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने गुरूवार को विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों से आव्हान करते हुए कहा कि शिक्षा प्रणाली का पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिए और इसे अधिक मूल्य आधारित, समग्र तथा पूर्ण बनाया जाना चाहिए। नायडू ने सिक्किम के आईसीएफएआई विश्वविद्यालय के 13वें ई-दीक्षांत समारोह को वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षण संस्थानों को समग्र वैदिक शिक्षा प्रणाली से प्रेरणा लेनी चाहिए और नई शिक्षा नीति की परिकल्पना को समझना चाहिए।
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के कथनों को उद्धृत करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ऐसी शिक्षा जो मूल्यों से रहित हो, वह सच्ची शिक्षा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालयों से यह उम्मीद की जाती है कि वे छात्रों का विकास ऐसे मनुष्य के रूप में करें, जो सिर्फ डिग्रीधारक नहीं, बल्कि संवेदनशील हों।’ उन्होंने कहा कि अक्सर धन प्राप्त करने की दौड़ में इस पहलू की उपेक्षा कर दी जाती है।
जलवायु परिवर्तन का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए जो समग्र समाधान सुझाए जाएं, उनमें मूल्य आधारित शिक्षा और प्रकृति का सम्मान शामिल होना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती से निपटने के लिए नये रक्षात्मक और नवाचार युक्त समाधान सुझाने के लिए हमें अपने इंजीनियरों और प्रौद्योगिकीविदों को बेहतर क्षमताओं से लैस करना होगा। उन्होंने आगाह किया कि हालांकि किसी भी प्राकृतिक विपदा को मानवीय हस्तक्षेप से पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता, लेकिन हमें उसके प्रभाव को कम से कम करना है।