नई दिल्ली। टीम डिजिटल। भारत और चीन की सेनाओं के बीच मंगलवार को करीब 10 घंटे तक कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई जिसके केंद्र में पूर्वी लद्दाख के टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे करने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देना था। लेकिन इसी बीच खबर मिली है कि चीन ने सीमा पर अपने सैनिकों की तैनाती को बढ़ाकर 10 हजार कर दिया है। यह तैनाती चीन लम्बी योजना के तहत कर रहा है। जिससे इस वार्ता पर पानी फिरते दिख रहा है।
इसके जवाब में भारत ने भी सीमा पर 2 नई डिविजन की तैनाती की है। बताया जा रहा है कि इसी के साथ भारत ने भी चीन के बराबर सैनिकों की तैनाती कर रखी है। इससे पहले बैठक के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने इलाके में चीन के नये दावे पर चिंता जताई है और पुरानी स्थिति बहाल करने और तत्काल चीनी सैनिकों को गलवान घाटी, पेंगोंग सो और अन्य इलाकों से वापस बुलाने की मांग की। सरकारी सूत्रों ने बताया कि वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास चुशूल सेक्टर में भारत की तरफ हुई।
बैठक सुबह 11 बजे शुरू हुई और रात नौ बजे तक चलती रही। बैठक में हुई बातचीत की औपचारिक जानकारी नहीं दी गई है। पांच मई को दोनों सेनाओं के बीच शुरू हुए तनाव के बाद कोर कमांडर स्तर की यह तीसरी वार्ता है। पहले दो दौर की वार्ताओं में भारतीय पक्ष ने इलाके के विभिन्न स्थानों से तत्काल चीनी सैनिकों को हटाने की मांग की थी।
उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख के विभिन्न स्थानों पर गत सात हफ्ते से भारत और चीन के सेनाओं के बीच तनाव है और यह तनाव और बढ़ गया जब 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए। चीनी पक्ष को भी नुकसान हुआ लेकिन उसने इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की। दोनों पक्षों के बीच 22 जून को हुई वार्ता में पूर्वी लद्दाख में तनाव वाले सभी स्थानों पर 'पीछे हटने' को लेकर 'परस्पर सहमति' बनी थी।
पहले दो दौर की बातचीत एलएसी के पास चीनी जमीन पर मोल्दो में हुई थीं। गलवान घाटी में हुई हिसा के बाद सरकार ने सशस्त्र बलों को 3500 किलोमीटर लंबी एलएसी के पास चीन के किसी भी दुस्साहस का 'मुंहतोड़' जवाब देने की 'पूरी छूट' दे दी है। पिछले हफ्ते विदेश मंत्रालय ने कड़े शब्दों में बयान जारी कर कहा था कि तनाव के लिए चीन जिम्मेदार है और जिसने मई की शुरुआत में सभी आपसी सहमति को ताक पर रखकर भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती एलएसी के पास की।
लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की छह जून को हुई पहले दौर की वार्ता में दोनों पक्षों ने गलवान से शुरुआत कर उन सभी बिंदुओं से बलों को धीरे-धीरे पीछे हटाने पर सहमति जताई थी, जहां दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध की स्थिति है। गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद हालांकि स्थिति बिगड़ गई और दोनों पक्षों ने एलएसी से लगे इलाकों में अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी।