नई दिल्ली। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने आतंकवाद के आरोप में जम्मू-कश्मीर पुलिस से निलंबित पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) देविंदर सिंह के बहाने राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुये शुक्रवार को कहा कि इस मामले में सरकार को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने यहाँ पार्टी मुख्यालय में कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि सरकार देविंदर सिंह की आतंकवादियों से साठगाँठ की जाँच एनआईए को सौंपने की तैयारी में है।
उन्होंने कहा,‘‘ मेरा यह मानना है कि इस समय सरकार का काम सिर्फ निष्पक्ष जाँच करना होना चाहिए, जिससे कहीं भी संदेह की कोई गुंजाइश न हो। लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही। ऐसा लग रहा है कि वह इस पूरे मामले की जाँच एनआईए को सौंपने वाली है। एनआईए के मुखिया वाई.सी. मोदी वही व्यक्ति हैं जिन्होंने गुजरात दंगों और हरेन पंड्या हत्याकांड की जाँच की थी। एनआईए पर हम इसलिए सवाल उठा रहे हैं क्योंकि गत दिनों में एनआईए की भूमिका शायद निष्पक्ष नहीं रही है।
चाहे वह प्रज्ञा ठाकुर मामले की जाँच हो या स्वामी असीमानंद मामले की।’’ इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गाँधी ने भी आज सुबह ट्वीट कर देविंदर सिंह मामले की जाँच एनआईए को सौंपे जाने पर संदेह व्यक्त किया था कि यह आरोपी से राज उगलवाने की बजाय उसे खामोश करने की कोशिश है। उन्होंने एक पोस्ट में कहा, ‘‘आतंकवादी डीएसपी देंिवदर सिंह को खामोश करने का सबसे अच्छा तरीका है, मामले की जाँच एनआईए को सौंपना। एनआईए के प्रमुख एक अन्य मोदी-वाई.के. (मोदी)- हैं जिन्होंने गुजरात दंगों और हरेन पांड्या हत्या मामलों की जाँच की थी। वाई.के. की निगरानी में यह मामला मृतप्राय हो जायेगा।’’
उन्होंने हैशटैग किया है-आतंकवादी देविंदर को कौन खामोश करना चाहता है? श्रीनेत ने कहा कि आज पूरा देश तफ्तीश चाहता है, जवाब चाहता है, सवाल उठा रहा है कि कैसे इतने उच्च पद पर बैठा हुआ अधिकारी जिसे सम्मानित किया जा चुका था, आतंकवादियों से साठगाँठ रखने के बावजूद तंत्र में सक्रिय था और पकड़ा नहीं गया था। उन्होंने सरकार से इस मसले पर चुप्पी तोड़ने की माँग करते हुये कहा कि गिरफ्तार होते वक्त निलंबित डीएसपी ने कहा था ‘‘इसमें मत पड़ो, यह एक बड़ा खेल है।’’ वह कोई मामूली अधिकारी नहीं था, उस पर विदेशी राजदूतों की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी। उन्होंने कहा इस पूरे मामले में कहीं न कहीं सरकार की जो चुप्पी है, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, गृह मंत्री और प्रधानमंत्री की जो चुप्पी है उस पर सवाल उठाना जरूरी है।