अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण क्षेत्र को बुद्ध विहार घोषित करने की मांग से जुड़ी याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार किया दिया है। शुक्रवार (3 फरवरी) को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता का कहना था कि वहां पहले हुए उत्खनन में बौद्ध धर्म से जुड़े अवशेष मिले थे। इस पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "इन सभी दलीलों का जवाब अयोध्या फैसले में दिया जा चुका है। "
याचिकाकर्ता विनीत कुमार मौर्य का कहना था कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर अयोध्या की विवादित भूमि पर पुरातात्विक सर्वेक्षण हुआ था। इसमें बौद्ध धर्म से जुड़े अवशेष भी मिले थे। सुप्रीम कोर्ट उस जगह को राष्ट्रीय महत्व के पुरातत्व स्थान का दर्जा देने का आदेश दे। इसके लिए प्राचीन स्मारक अधिनियम की धारा 3 और 4 का इस्तेमाल किया जाए।
साल 2019 में अयोध्या मामले पर फैसला देने वाली 5 जजों की बेंच के सदस्य रह चुके चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, "मामले पर फैसला किया जा चुका है। अब इस विषय को दोबारा नहीं उठाया जा सकता। आप या तो याचिका वापस लें या फिर हम इसे खारिज करते हैं।" इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस ले ली।