कराहल । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्रनिर्माण में देश के लाखों स्वसहायता समूहों की अहमियत प्रतिपादित करते हुए कहा कि शुरुआत में भले ही ऐसे समूह स्वसहायता समूह कहलाते हों, लेकिन बाद में अपने कार्यों की बदौलत ये 'राष्ट्र सहायता समूह' बन जाते हैं। मोदी ने आज यहां महिला स्वसहायता समूहों के सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि 10-12 महिलाएं जब अपना काम शुरु करती हैं, तो उन्हें स्वसहायता समूह कहा जाता है, लेकिन जब वे अपने संकल्प के कारण काम आगे बढ़ाती हैं तो ऐसे समूह राष्ट्र सहायता समूह बन जाते हैं। उन्होंने कहा कि वे अपने अनुभव से कह सकते हैं कि जब महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ता है तो सफलता अपने आप तय हो जाती है। अपनी बात के समर्थन में उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान और जल जीवन मिशन का उदाहरण भी दिया।
अपने संबोधन के दौरान मोदी ने कहा कि पूरे देश में आज 8 करोड़ से अधिक बहनें स्वसहायता समूहों से जुड़ीं हैं। प्रत्येक गांव से कम से कम एक महिला स्वसहायता समूह से जुड़े, सरकार का ऐसा प्रयास है। उन्होंने कहा कि भारत में पिछली और मौजूदा शताब्दी में बड़ा अंतर आया है। अब नारी शक्ति राजनैतिक और सामाजिक प्रतिनिधित्व के रूप में सामने आ रही है। पंचायत भवन से लेकर राष्ट्रपति भवन तक महिलाएं अपना परचम फहरा रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड के समय में महिला स्वसहायता समूहों ने हर चुनौती को पार करते हुए कार्य किए। इसी तरह 'हर घर तिरंगा' अभियान जैसे राष्ट्रीय गौरव के क्षण में भी इन समूहों की अहम भूमिका रही।
महिला स्वसहायता समूह सशक्तिकरण की दिशा में सरकार के प्रयासों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत स्थानीय उत्पाद बड़े बाजार तक पहुंच रहे हैं। इसका बड़ा लाभ स्वसहायता समूहों को मिल रहा है। इस दौरान उन्होंने आदिवासी महिलाओं को ऑनलाइन खरीदारी के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि स्वसहायता समूहों की महिलाएं जैम (गवर्नमेंट ई मार्केट प्लेस) पर पंजीकरण करा कर सीधे सरकारी विभागों को अपने उत्पाद बेच सकती हैं।
मोदी ने कहा कि उनकी कोशिश रहती है कि किसी भी विदेशी मेहमान को अगर भोजन परोसा जा रहा है, तो उस थाली में कोई न कोई मोटा अनाज अवश्य शामिल हो। उन्होंने स्वसहायता समूहों का आह्वान करते हुए कहा कि ऐसे समूहों के लिए मोटे अनाज के क्षेत्र में भी कई अवसर हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 के बाद से ही देश महिलाओं की गरिमा बढ़ाने वाले कार्यों और उनकी समस्याओं के समाधानकारी कार्यों में जुटा हुआ है। सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना में महिलाओं को घर की मालकिन बनाया। आज देश में दो करोड़ से ज्यादा महिलाएं घर की मालकिन हैं। पहले संपत्ति का नियंत्रण पुरुषों के हाथों में होता था, पर अब ऐसा नहीं है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण उन्हें समाज में भी सशक्त बनाता है, इसलिए सरकार ने महिलाओं के लिए सभी दरवाजे खोल दिए हैं। अब बेटियां सैनिक स्कूलों में और फौज में भी जा रही हैं। पिछले आठ साल में पुलिस बल में महिलाओं की संख्या दोगुनी हो गई है। प्रधानमंत्री ने सम्मेलन को संबोधित करने के बाद मंच के समीप महिलाओं द्वारा तैयार किए गए उत्पादों का अवलोकन भी किया। इस दौरान उन्होंने कई महिलाओं से उनके उत्पादों के बारे में जानकारी भी ली। कार्यक्रम में राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा भी उपस्थित रहे।