नई दिल्ली। कोरोना वायरस की वैक्सीन के लिए लोगों को अब जल्द ही इंजेक्शन की जगह टैबलेट दिया जा सकता है। वैज्ञानिकों की टीम कोरोना वायरस की ऐसी वैक्सीन की खोज कर रही है जो बच्चों को फ्लू में दिए जाने वाले नेजल स्प्रे या फिर पोलियो वैक्सीनेशन में दिए जाने वाले टैबलेट की तरह हो। जनवरी से भारत में शुरू हुए सबसे बड़े कोरोना टीकाकरण अभियान में अब तक लोगों को इंजेक्शन के माध्यम से कोरोना वैक्सीन लगाया जा रहा है। वहीं ऐसी रिपोर्ट सामने आ रही है, जिसमें कहा जा रहा है कि भविष्य में लोगों को टैबलेट के रूप में वैक्सीन लगायी जायेगी। बीबीसी की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि स्वीडन के सबसे बड़े साइंस पार्क ने इस पर काम शुरू कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वीडन के साइंस पार्क ने इन्जेमो एंडरसन के नेतृत्व में इस टैबलेट पर काम शुरू कर दिया गया है। एक ऐसा इनहेलर बनाया जा रहा है जिसका आकार माचिस की डिब्बिया से भी आधा है। एंडरसन को उम्मीद है कि यह एक क्रांतिकारी खोज साबित होगा और पूरी दुनिया को कोरोना जैसे गंभीर वायरस से बचाने में मददगार साबित होगा।
एंडरसन ने कहा कि इस इनहेलर को एक पाउडर के रूप में लोग इस्तेमाल कर सकेंगे। इसे टैबलेट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा। साइंस पार्क के सीईओ जोहन वोबोर्ग ने कहा कि इसका उत्पादन बहुत आसानी से हो सकेगा और काफी सस्ती भी होगी। उन्होंने कहा कि अस्थमा के रोगी जिस तकनीक से दवा इनहेल करते हैं, यह कुछ उसी प्रकार का होगा। आपको बता दें कि नेजल स्प्रे के रूप में भी कोरोना वैक्सीन पर तेजी से काम हो रहा है। हालांकि अभी पूरी दुनिया में इंजेक्शन के माध्यम से ही कोरोना का वैक्सीन दिया जा रहा है। कई कंपनियों की वैक्सीन पूरी दुनिया में लोगों को उपलब्ध करायी जा रही है। भारत में ज्यादातर लोगों को स्वदेशी वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन के डोज लगाये जा रहे हैं।
भारत में कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए बच्चों के वैक्सीन का भी ट्रायल चल रहा है। एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने हाल ही में कहा कि सितंबर तक भारत में बच्चों के लिए वैक्सीन आ जायेगी और इस पर तेजी से काम चल रहा है। भारत बायोटेक बच्चों के लिए वैक्सीन तैयार कर रहा है।