नयी दिल्ली। भारत ने कोविड-19 महामारी से हुए आर्थिक नुकसान के संकट से निपटने के लिए ‘आर्थिक बहुपक्षवाद’ और ‘राष्ट्रीय क्षमता निर्माण’ का मंत्र देते हुए आज कहा कि इसी मार्ग पर चलते हुए ‘आत्मनिर्भर भारत’ वैश्विक अर्थव्यवस्था की प्रगति को गति प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शिखर बैठक को संबोधित करते हुए कहा, भारत का दृढ़ विश्वास है कि ‘आर्थिक बहुपक्षवाद’ और ‘राष्ट्रीय क्षमता निर्माण’ के संयोग से एससीओ देश महामारी से हुए आर्थिक नुकसान के संकट से उभर सकते हैं।
हम महामारी के बाद के विश्व में ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दृष्टि के साथ आगे बढ़ रहे हैं। मुझे विश्वास है कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ वैश्विक अर्थव्यवस्था के कई गुणा बल प्रदान करने वाला साबित होगा और एससीओ क्षेत्र की आर्थिक प्रगति को गति प्रदान करेगा।
मोदी ने अपने संबोधन में संयुक्त राष्ट्र सुझारों पर भी बल दिया और एससीओ से इसके लिए समर्थन की अपील की। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने अपने 75 साल पूरे किए हैं। लेकिन अनेक सफलताओं के बाद भी संयुक्त राष्ट्र का मूल लक्ष्य अभी अधूरा है। महामारी की आर्थिक और सामाजिक पीड़ा से जूझ रहे विश्व की अपेक्षा है कि इस वैश्विक निकाय की व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन आए।
प्रधानमंत्री ने कहा - हमारे यहा शास्त्रों में कहा गया हैं ‘परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति’ - परिवर्तन ही एकमात्र स्थिरता है। भारत, 2021 से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भाग लेगा। हमारा ध्यान वैश्विक शासन-विधि में संभावित बदलाव लाने पर केंद्रित होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक ‘संशोधित बहुपक्षवाद’ जो आज की वैश्विक वास्तविकताओं को दर्शाए, जो सभी साझीदारों की अपेक्षाओं, समकालीन चुनौतियों, और मानव कल्याण जैसे विषयों पर चर्चा करे। इस प्रयास में हमें एससीओ सदस्य राष्ट्रों का पूर्ण समर्थन मिलने की अपेक्षा है।