नई दिल्ली। संसद में हाल में पारित किये गये श्रम सुधारों से संबंधित विधेयकों पर आशंकाओं और आपत्तियों को खारिज करते हुए सरकार ने सोमवार को कहा कि इनसे श्रम बल को लाभ होगा और असंगठित क्षेत्र के 40 करोड़ से ज्यादा श्रमिक श्रम कानूनों के दायरे में आ जाएगें। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने यहां कहा कि इन ऐतिहासिक श्रम सुधारों से संबंधित संहिताओं का उद्देश्य श्रम कल्याण के दायरे का विस्तार करना है।
मंत्रालय ने कहा कि श्रम संहिताओं के संबंध में गलत धारणायें फैलायी जा रही है। तीन सौ से कम कर्मचारियों की इकाई को सरकार की अनुमति के बिना बंद करने से संबंधित प्रावधान पर स्पष्टीकरण देते हुए मंत्रालय ने कहा कि विभाग से संबद्ध संसदीय समिति ने इसकी सीमा 100 से बढ़ाकर 300 कर्मचारी करने की सिफारिश की थी। सरकार ने संबंधित प्रावधान में बदलाव किया है जबकि अन्य प्रावधान यथावत हैं। श्रमिकों के अन्य अधिकार और लाभ पहले की भांति ही बने हुए हैं।
कर्मचारी को नौकरी से हटाने से पहले नोटिस देना होगा और बाकी बचे पूरे सेवाकाल के लिए 15 दिन प्रतिवर्ष की दर से मुआवजा देना होगा। ‘हायर एंड फायर’ की नीति को बढ़ावा देने के आरोप को खारिज करते हुए मंत्रालय ने कहा कि औद्योगिक संबंध संहिता के अनुसार संबंधित नियोक्ता को हटाये जाने वाले कर्मचारी को पुन: कौशल के लिए 15 दिन के वेतन का भी भुगतान करना होगा।
मंत्रालय ने कहा है कि आर्थिक सर्वेक्षण 2019 के अनुसार 10 वर्ष से ज्यादा पुरानी हो चुकी भारतीय कंपनियों में रोजगार देने की दर रूक गयी है। कुछ कंपनियां जानबूझकर कर्मचारियों की संख्या 100 से ज्यादा नहीं कर रही है। राजस्थान में वर्ष 2014 में कर्मचारियों की सीमा 100 से बढाकर 300 कर दी गयी तो बेहतर परिणाम सामने आये। ज्यादा लोगों को रोजगार मिला और उत्पादन बढ़ गया। इसके बाद लगभग 15 राज्यों ने भी यह सीमा बढ़ाकर 300 कर्मचारी कर दी। इनमें आंध्रप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, मेघालय और ओडिशा शामिल हैं।