मध्य प्रदेश के इंदौर में मंदिर हादसे में बच कर निकले लोगों ने आपबीती सुनाई है। इनमें कई लोगों ने अपनों को खोया है। लेकिन इन्हें अब तक खबर नहीं कि उनके घर वाले जिंदा भी हैं या नहीं। अग्रवाल नगर में रहने वाले राजेंद्र दशोरे रामनवमी पर दर्शन पूजन के लिए अपनी बेटी नंदिता (15) के साथ बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर पहुंचे थे। जब हादसा हुआ तो वह हवन के लिए बैठे थे। इस हादसे में उनकी बेटी नंदिता बड़ी मुश्किल से बच कर बाहर आ गई, लेकिन राजेंद्र दशोरे लापता हो गए। तब से नंदिता की चींखे सुनाई दे रही है। वह बार बार यही कह रही है कि उसके पापा नहीं मिल रहे हैं। घर में मम्मी परेशान होंगी। कोई तो उन्हें ढूंढे।
रिपोर्ट के मुताबिक हादसे में गंभीर रूप से घायल नंदिता को पीआईसीयू में भर्ती कराया गया है। उसके परिजन लगातार उसे समझाने का प्रयास कर रहे हैं। परिजनों ने बताया कि नंदिता की मां दिव्यांग है और एक सरकारी स्कूल में टीचर है। वह भी इनके साथ आना चाहती थी, लेकिन भीड़ की बात कहकर नंदिता ने उसे रोक दिया था। इसके बाद बाप बेटी मंदिर में हो रहे दर्शन पूजन में शामिल हो गए थे।
परिजनों के मुताबिक दिव्यांग होने की वजह से ही नंदिता की मां की जान बच पायी है। उधर, श्रीकृष्णा एंक्लेव में रहने वाली भूमिका खानचंदानी और उनके डेढ़ साल के बच्चे हितांश की भी इस हादसे में मौत हुई है। भूमिका के पति उमेश के मुताबिक वह लिंबादी के रहने वाले हैं। गुरुवार की सुबह पत्नी भूमिका, सास रेखा और बेटे हितांश के साथ मंदिर में दर्शन के लिए आए थे। उनके साथ उनकी दो बेटियां एलिना (6) और बेदा (3) भी थीं।
इस हादसे में वह और उनकी सास रेखा की जान तो बच गई है, लेकिन उन्हें गंभीर चोटें आई हैं, जबकि रेखा का पैर टूट गया है। इस हादसे में उनकी दोनों बेटियों को भी काफी चोटें आई हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इन बच्चों को अब तक नहीं पता कि उनकी मां और भाई कहां है। पूछने पर बताया कि मंदिर में पूजा करने गए थे, वहीं मम्मी गिर गई। इस हादसे में बुरी तरह घायल मेडिकल कारोबारी उमेश भी अब तक बदहवाश है।