इंदौर। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भोपाल में रैन बसेरा का दौरा क्या किया। जिसके बाद प्रदेश भर में हलचल मच गई। इंदौर नगर निगम ने भी फुटपाथ पर सो रहे लोगों को उठाकर रैन बसेरों में शिफ्ट करने की कवायद शुरू दी है। ठंड में फुटपाथ पर सोने वाले ज्यादातर लोगों की मजबूरी इसलिए अब समझ से परे है क्योंकि नगर निगम ने 10 रैन बसेरे चला रखे हैं , जहां पर रात बिताने की पर्याप्त व्यवस्था के साथ भोजन भी दीनदयाल रसोई योजना के जरिये कराया जाता है। रात को भी 9- 10 लोगों को रैन बसेरे भिजवाया गया।
100 से अधिक फुटपाथी गरीब नशे में धुत्त भी मिले , जिनमें कुछ महिलाएं भी शामिल है। जिन्हें इसलिए शिफ्ट नहीं किया जा सका क्योंकि इससे रैन बसेरे में व्यवस्थाएं और बिगड़ती। अधिकांश फुटपाथ पर सोने वाले गरीब कंबल और अन्य राहत सामग्री के लालच में रोजाना बैठते है . शास्त्री ब्रिज के ऊपर और नीचे , रीगल चौराहे के अलावा एमवाय , गंगवाल जैसे प्रमुख ठिकानों पर कई समाजसेवी लोग रात में कंबल और अन्य सामग्री बांटते हैं , लिहाजा इस के लालच में ये लोग यहीं डेरा डाले रहते हैं . कई के पास चार से पांच कम्बल बोरे में भरे मिले , शास्त्री ब्रिज पर तो एक ही परिवार के 21 लोग रोजाना इसीलिए जमे रहते है।
सुबह ये कम्बल अन्य गरीबों को 25-50 रु में बेच देते है और फिर कम्बल लेने बैठ जाते है , ये रोजाना का धंधा है . हो सकता है निगम के रैन बसेरों में कुछ कमी हो मगर फिर भी ठंड-बारिश में खुले में सोने से तो लाख गुना बेहतर है , लेकिन नशा , कम्बल और अन्य राहत सामग्री का लालच इन फुटपाथ पर सोने वालों को रैन बसेरा , आश्रम या किसी नशा मुक्ति केंद्र में रख नहीं पाता है। यही कारण है कि तमाम प्रयासों के बावजूद सड़कों ,चौराहों , ट्रैफिक सिंग्नल या धार्मिक स्थलों के आसपास से भिखारी भी नहीं हटते है।