नई दिल्ली। कैप्टन कूल के नाम से मशहूर भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने स्वीकार किया है कि वह भी मैदान पर खेलते समय दबाव और भय महसूस करते हैं। धोनी ने एमफोर को अपना समर्थन देते हुए यह बात कही। एमफोर एक पहल है जो खेलों में बेहतर प्रदर्शन के लिए मानसिक मजबूती कार्यक्रम पेश करता है। पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुब्रमण्यम बद्रीनाथ और श्रवण कुमार एमफोर के संस्थापक हैं। क्रिकेट मैदान से लगभग एक साल से बाहर चल रहे कैप्टन कूल ने कहा,‘‘ जब मैं बल्लेबाजी के लिए जाता हूं तो पहली 5-10 गेंद खेलने पर मुझे दबाव महसूस होता है। मुझे भी थोड़ा डर लगता है और ऐसा सबके साथ होता है।
इससे बचा कैसे जा सकता है।’’ उन्होंने कहा,‘‘ यह छोटी दिक्कत है लेकिन हम कोच से यह बात बोलने में भी हिचकिचाते है, इसलिए खिलाड़यिों और कोच के बीच बेहतर रिश्ते होना बेहद जरुरी है, चाहे कोई भी खेल हो। भारत में मुझे लगता है कि यह स्वीकार करना बड़ा मुद्दा है कि मानसिक पहलुओं में कुछ कमजोरी है, लेकिन हम आम तौर पर इसे मानसिक बीमारी कहते हैं।’’ एमफोर के अनुसार धोनी ने यह बयान विभिन्न खेलों के कोचों से बातचीत के दौरान दिया जो लॉकडाउन होने से पहले आयोजित किया गया था।
मानसिक कंडिशनिंग कोच महत्त्व पर धोनी ने कहा,‘‘ मानसिक कंडिशनिंग कोच 15 दिनों के लिए नहीं होना चाहिए क्योंकि अगर यह 15 दिन के लिए होगा तो लोग सिर्फ अपना अनुभव ही साझा कर सकते हैं। यदि मानसिक कंडीशनिंग कोच लगातार खिलाड़ी साथ रहे तो वह समझ सकता है कि वे कौन से क्षेत्र हैं जो उसके खेल को प्रभावित कर रहे हैं।’’ इससे पहले भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने भी जीवन में मानसिक स्पष्टता को जरुरी बताया था। उन्होंने कहा था,‘‘ मुझे लगता है कि जीवन में मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक स्पष्टता जरुरी है, यह सिर्फ खेल के लिए ही नहीं है।’’