मुंबई। अपने कुछ किरदारों की वजह से कुछ एक्टर्स दर्शकों के बीच टाइप्ड हो जाते हैं। जनता उन्हें सच में किरदार जैसा ही मानने लगती है। सिनेमा के कई खलनायक को अक्सर लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ती है। कुछ ऐसा ही रामानंद सागर के प्रसिद्ध धारावाहिक ‘रामायण’ के किरदारों के साथ हुआ। अरुण गोविल को ‘राम’, दीपिका चिखलिया को ‘सीता’ आज तक अपने किरदार की वजह से पूजे जाते हैं, तो वहीं ‘रावण’ बने अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi) को बहुत जिल्लत झेलनी पड़ी थी।
प्रसिद्ध धार्मिक धारावाहिक जब दूरदर्शन पर टेलीकास्ट होता था तो उस समय सड़कों पर कर्फ्यू जैसा मंजर हो जाता था। उस दौर के लोग बता सकते हैं कि जिसके घर टेलीविजन होता था, वहां मेले जैसा माहौल रहता था। दरअसल, उस दौर में सब लोगों के घर टीवी सेट नहीं होता था। इस सीरियल की पॉपुलैरिटी ऐसी कि लोग देखने के लिए ठीक समय से पड़ोस-रिश्तेदार के टीवी के सामने बैठ जाते थे और भाव विभोर होकर धारावाहिक का आनंद उठाते थे। कहते हैं कि जब स्क्रीन पर राम-सीता दिखाई देते तो कई लोग अगरबत्ती भी जलाया करते थे। ऐसे धारावाहिक से दर्शक सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं बल्कि भावना से भी जुड़ते थे। रावण बने अरविंद त्रिवेदी ने शानदार अदाकारी से खूब नफरत पाई। लेकिन असल जिंदगी में ‘रावण’ का किरदार तब भारी पड़ गया, जब साल 1994 में वह अयोध्या पहुंचें।
अरविंद त्रिवेदी अयोध्या के हनुमानगढ़ी में संकटमोचन हनुमानजी के दर्शन करने पहुंचें तो उस समय मौजूद प्रमुख पुजारी ने जाने से मना कर दिया। सीरियल में राम के लिए अरविंद के अपशब्दों से इतने नाराज थे कि भूल गए कि वह तो सिर्फ अपना किरदार निभा रहे थे। अरविंद ने दर्शन के लिए बहुत प्रार्थना की, समझाया लेकिन पुजारी अड़े रहे और बिना दर्शन किए ही अरविंद को लौटना पड़ा मीडिया रिपोर्ट की माने तो इस घटना से अरविंद त्रिवेदी बहुत आहत हुए। अपने किरदार के लिए प्रायश्चित करने का फैसला किया और अपने घर की दीवारों पर रामायण के दोहे-चौपाई लिखवा दिए। अरविंद भले ही पर्दे पर रावण के किरदार निभाते थे लेकिन असल जिंदगी में रामभक्त थे। कहते हैं कि वह अक्सर अपने घर पर रामायण पाठ करवाया करते थे।