कतर में जासूसी के आरोप में फांसी की सजा पाए नेवी के 8 पूर्व कर्मियों से भारतीय राजदूत ने मुलाकात की है। यह मुलाकात 3 दिसंबर को हुई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इसकी जानकारी दी है। साथ ही विदेश मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुबई में कतर के अमीर से मुलाकात की है। हालांकि, दोनों के बीच क्या बात हुई, इस बारे में अरिंदम बागची ने बताया यह मैं नहीं बता सकता।
अरविंद बागची ने बताया कि कतर में आठ भारतीयों को मिली फांसी के मामले में भारत ने अपील की है। इसको लेकर 23 और 30 नवंबर को दो सुनवाई हुई है। अगली सुनवाई भी जल्द होने की उम्मीद है। जब उनसे पूछा गया कि क्या कतर में न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद राजनीतिक नेतृत्व के साथ मामला उठाया जाएगा या दोनों प्रक्रिया साथ साथ चल रही है? उन्होंने बताया कि अभी न्यायिक प्रक्रिया पर हमारा फोकस है, लेकिन हम क़तर ऑथिरिटीज़ के साथ भी संपर्क में हैं।
कतर की ‘कोर्ट ऑफ फर्स्ट इंस्टेंस' ने 26 अक्टूबर को आठ भारतीयों को मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने फैसले को चौंकाने वाला बताया था और मामले में सभी कानूनी विकल्प तलाशने की बात कही थी। कुछ दिनों बाद, मौत की सजा के खिलाफ एक अपील दायर की गई। बागची ने कहा, "मामला फिलहाल वहां कानूनी प्रक्रिया में है। जैसा कि हमने बताया, कतर की अपील अदालत में एक अपील दायर की गई है। हम इस मामले पर कतर के प्राधिकारियों के साथ भी सम्पर्क में हैं और हम उन्हें (पूर्व नौसैन्य कर्मियों को) सभी कानूनी और राजनयिक सहायता प्रदान करना जारी रखेंगे।"
निजी कंपनी अल दहरा के साथ काम करने वाले भारतीय नागरिकों को कथित तौर पर जासूसी के एक मामले में पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार किया गया था। न तो कतर के प्राधिकारियों और न ही नयी दिल्ली ने भारतीय नागरिकों के खिलाफ आरोपों को सार्वजनिक किया है। कतर की अदालत के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में, विदेश मंत्रालय (एमईए) ने पिछले महीने कहा था कि वह इस मामले को 'उच्च महत्व' दे रहा है और सभी कानूनी विकल्प तलाश रहा है। भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों के खिलाफ आरोप 25 मार्च को दायर किए गए और उन पर कतर के कानून के तहत मुकदमा चलाया गया