मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनशन पर बैठे मनोज जारांगे पाटिल ने आखिरकार भूख हड़ताल खत्म कर दी है। आंदोलन के 17वें दिन जारांगे पाटिल ने अनशन तोड़ा। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अंतरवाली सराती आकर मनोज जारांगे पाटिल से 15 मिनट तक चर्चा की। इसके बाद जारांगे पाटिल को जूस पिलाया गया और उनका अनशन खत्म कराया गया।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि मुझ पर भरोसा रखें। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जारांगे पाटिल को आश्वासन दिया कि जब तक मराठा समुदाय को आरक्षण नहीं दिया जाता वह पीछे नहीं हटेंगे। जारांगे पाटिल ने भी बिना किसी शोर-शराबे के भूख हड़ताल खत्म कर दी। इसके बाद जारंगे पाटिल ने मुख्यमंत्री के तौर पर एकनाथ शिंदे की तारीफ की।
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर जिद पर अड़े मनोज जारांगे पाटिल ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के वादे पर ही अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी। 17 दिन तक चला एक आंदोलन बस एक वादे पर खत्म हुआ तो सवाल उठने लगा कि आखिर मनोज जारांगे पाटिल ने सीएम शिंदे के आते ही भूख हड़ताल क्यों खत्म कर दी? क्या मनोज जारांगे की जिद थी कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे आकर अनशन खत्म करवाएं?
दरअसल, मराठा आरक्षण की मांग को लेकर हुई हिंसा मामले में बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने सख्त निर्देश दिए थे। हाई कोर्ट ने आंदोलनकारियों के प्रदर्शन को उनका मौलिक अधिकार बताया था, लेकिन राज्य सरकार को भी हिंसा होने की हालत में एक्शन लेने का पूरा हक होने की बात कही थी।
चीफ जस्टिस देवेन्द्र उपाध्याय और जस्टिस अरुण पेडनेकर की बेंच के आदेश पर औरंगाबाद बेंच के सामने हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा, ‘विभिन्न तरीकों से विरोध करना हर किसी का मौलिक अधिकार है, लेकिन इसके कारण राज्य में कानून-व्यवस्था न बिगड़े, इसका हमें ध्यान रखना होगा।’
हाई कोर्ट में नीलेश शिंदे ने याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा था कि मनोज जरांगे 29 अगस्त से भूख हड़ताल पर थे। राज्य के विभिन्न हिस्सों में हिंसा हो रही है और इसके कारण अराजकता की स्थिति पैदा हो गयी है, करीब 14-15 बसें जला दी गई हैं, मनोज जारांगे की तबीयत भी बिगड़ती जा रही है, राज्य सरकार को तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।
हाई कोर्ट में सुनवाई से पहले मनोज जारांगे पाटिल ने 10 सितंबर को भूख हड़ताल की मांग को ठुकराते हुए कहा था कि जब तक मराठा समुदाय को कुनबी जाति के प्रमाणपत्र नहीं दिए जाएंगे, वह अनशन नहीं खत्म करेंगे। इस दौरान उनकी तबियत लगातार बिगड़ती रही और सरकार की ओर से भूख हड़ताल खत्म कराने की कोशिश जारी रही है। हाई कोर्ट में सुनवाई से पहले ही मनोज जारांगे ने अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल समाप्त करने से पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात करने की मांग की थी। जारांगे ने मंगलवार देर रात शिंदे से फोन पर हुई बातचीत के बाद यह मांग रखी थी। इसके बाद सरकार की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल भी मनोज जारांगे से मिला था।
मुख्यमंत्री @mieknathshinde यांनी आज जालना जिल्ह्यातील अंतरवाली-सराटी येथे आंदोलनकर्ते मनोज जरांगे पाटील यांची भेट घेतली। मुख्यमंत्र्यांशी झालेल्या चर्चेनंतर श्री। जरांगे पाटील यांनी उपोषण मागे घेत असल्याचे जाहीर केले। त्यांनी मुख्यमंत्र्यांच्या हस्ते सरबत घेऊन उपोषण सोडले। pic।twitter।com/QvjokbDTAB
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को कल अंतरवली सराती में आना था, लेकिन कल उनका दौरा रद्द हो गया था। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे आज अचानक ही जालना पहुंच गए और मनोज जारांगे से मुलाकात की। मनोज जारांगे की सभी मांग सुनने के बाद मुख्यमंत्री शिंदे ने भूख हड़ताल खत्म करने की गुजारिश की। फिर मनोज ने भूख हड़ताल खत्म कर दी। – मराठा समाज को कुनबी प्रमाण पत्र दिया जाए – जीआर में वंशावली का उल्लेख हटाया जाए – जिन अधिकारियों ने लाठीचार्ज किया, उन्हें सेवा से निलंबित किया जाना चाहिए। – जिन मराठा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अपराध दर्ज किए गए हैं उन्हें तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।