उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी की एक मासूम बच्ची, जिसकी मां बचपन में ही गुजर गई। मां की मौत के बाद पिता सौतेली मां ले आया, तो बच्ची दादा-दादी के पास रहने लगी, जहां अभी वो पढ़ाई कर रही है। बात इतनी ही होती तब भी जिंदगी गुजर बसर की जा सकती थी, लेकिन इस बच्ची का बांया पैर और हाथ दोनों ही बचपन से टेढे़ हो गए और परिवार की हालत ऐसी नहीं कि उसका इलाज कराया जा सके।
ऊपर बताई कहानी है लखीमपुर खीरी के कंधरापुर गांव की रहने वाली लवली की। इस मासूम बच्ची की हालत गौतम अडानी से देखी नहीं गई और अब उन्होंने उसकी पूरी मदद करने का ऐलान किया है। मौजूदा समय में देश के अंदर लोकसभा चुनाव चल रहे हैं। इस दौरान देश के गांव-देहात से कभी संघर्ष की तो कभी पीड़ा की कई अनोखी कहानियां लोगों तक पहुंच रही हैं। लवली का दर्द भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक रिपोर्टर की रिपोर्ट के माध्यम से लोगों तक पहुंचा। इसे लेकर जो पोस्ट की गई, उसमें सवाल किया गया ‘कौन सुनेगा दर्द बचपन का…’, इस सवाल का जवाब खुद गौतम अडानी ने दिया है।
पांचवी कक्षा में पढ़ने वाली लवली की पीड़ा को लेकर गौतम अडानी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट लिखा है। उनका कहना है, ” एक बेटी का बचपन यूं छिन जाना दुखद है। छोटी सी उम्र में लवली और उसके दादा-दादी का संघर्ष बताता है कि एक आम भारतीय परिवार कभी हार नहीं मानता। अडानी फाउंडेशन यह सुनिश्चित करेगा की लवली को बेहतर इलाज मिले और वो भी बाकी बच्चों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ सके। हम सब लवली के साथ हैं।”
देश के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी के इस कदम की सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ हो रही है। गौतम अडानी का कारोबारी ग्रुप अडानी फाउंडेशन चलाता है। यह शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य कई क्षेत्रों में काम करता है। गौतम अडानी की पत्नी प्रीति अडानी ने 1996 में अडानी फाउंडेशन की शुरुआत की थी। ये फाउंडेशन 73 लाख लोगों के लिए काम करता है। इसका दायरा देश के 19 राज्यों में 5,753 गांव तक फैला है। प्रीति अडानी, शादी से पहले खुद एक डॉक्टर रही हैं।