वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का जीडीपी 6.3 फीसदी रहने का अनुमान है। विश्व बैंक ने अनुमान जारी करते हुए बताया कि देश में बढ़ते निवेश के चलते विकास दर का ये आंकड़ा रह सकता है। लेकिन विश्व बैंक ने मौजीदा वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर के अनुमान में बड़ी बढ़ोतरी कर दी है। उसका मानना है कि इस वित्त वर्ष में महंगाई दर 5.9 फीसदी रह सकती है। पहले विश्व बैंक ने 5.2 फीसदी महंगाई दर का अनुमान जताया गया था जो कि आरबीआई के 6 फीसदी अपर लिमिट के करीब है।
विश्व बैंक ने कहा कि मानसून के दौरान जुलाई 2023 में देश में खाने पीने की वस्तुओं की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिला है। हालांकि अगस्त में खाद्य महंगाई कम हुई है लेकिन इसका असर वित्त वर्ष के बाकी अवधि के दौरान देखने को मिल सकता है। विश्व ने कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों पर भी चिंता जाहिर की है। उसका मानना है कि 2022 के उच्च स्तरों के मुकाबले कच्चे तेल की कीमतें कम है लेकिन हाल के दिनों में बढ़ोतरी मुश्किलें बढ़ा सकती है। विश्व बैंक ने कहा कि अगस्त महीने में खुदरा महंगाई दर 6.8 फीसदी रहा है जो जुलाई के 7.4 फीसदी से कम है और सितंबर में इसके और भी कम होने का अनुमान है।
विश्व बैंक ने इंडिया डेवलपमेंट आउटलुक में कहा कि कोरोना महामारी के बाद जो निजी खपत के ग्रोथ में जो तेजी देखी गई थी उसकी रफ्तार अब धीमी पड़ने वाली है। भारत के महत्वपूर्ण ट्रेडिंग पार्टनर्स जिसमें यूरोपियन यूनियन भी शामिल है वहां के आर्थिक विकास की रफ्तार धीमी पड़ने के चलते भारत का एक्सपोर्ट्स प्रभावित हो सकता है। विश्व बैंक ने कहा कि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तेज उछाल का असर मांग पर पड़ सकता है। खासतौर से ऐसी घऱ-परिवार जिनकी आय कम है वहां डिमांड में कमी देखने को मिल सकती है।
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सरकार के लोकलुभावन ऐलानों और सब्सिडी कार्यक्रम का असर राजस्व के रोडमैप पर पड़ने का अनुमान है। उच्च खाद्य कीमतों से राहत दिलाने के लिए सब्सिडी कार्यक्रम का असर सरकार के खजाने पर पड़ सकता है। अगस्त महीने सरकार ने 200 रुपये की सब्सिडी एलपीजी गैस सिलेंडर पर देने का ऐलान किया है।