कर्नाटक। बेंगलुरू की एक 10 वर्षीय बच्ची ने काबीले तारीफ कारनामा करके दिखाया है इस बच्ची ने सब्जियों के छिलके का उपयोग कर कागज बनाया है। इस बच्ची ने यह कागज टमाटर, लहसुन और प्याज के छिलकों से कागज बनाया है कचरा प्रबंधन प्रणाली में सुधार लाने की कोशिश के तहत बेंगलुरू की छात्रा ने छोटी उम्र में बड़ा कारनामा कर दिखाया है छात्रा ने सब्जी के छिलकों से कागज बनाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
छात्रा हरित पहलों में सक्रिय रूप से शामिल होती रही है और अपना ज्यादातर समय प्रकृति संरक्षण के लिए अभियान चलाते हुए बिताती है। अपनी दादी के घर हरियाली के बीच पली-बढ़ी हर्षा को प्रकृति ने हमेशा अपनी ओर खींचा। जैसे ही उसे शहर में कचरे की डंपिंग पर चिंता को महसूस किया, उसने बढ़ते खतरे को रोकने का मन बना लिया। बाद में उसने पर्यावरण संरक्षण के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए एक ब्लॉग बनाया, और प्रकृति के विषय पर पांच किताबें लिखी।
हाल ही में मर्कोनाहल्ली डैम और वर्का बीच पर लगतार कचरा प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए उसने सफाई अभियान चलाया। उसने बताया कि छिलकों को कागज में बदलने के शुरुआती प्रयास आसान नहीं थे और सफल नहीं हुए, लेकिन कई नाकामियों के बाद उसे सफलता मिली और प्याज के छिलकों को कागज में बदलना संभव हो सका। उसने आगे बताया, "दुनिया कागज और जंगलों की कटाई से जुड़ी बड़ी समस्या का सामना कर रही है।
अगर आप घर पर किचन के कचरे से कागज बना सकें, तो निश्चित रूप से कागज की खरीदारी कम हो जाएगी। ये रंगीन सब्जी के कागज किसी भी अन्य घरेलू कागज की तरह है। आप लिख सकते हैं, पेंट कर सकते हैं, मोड़ सकते हैं और कलाकारी भी कर सकते हैं." इंस्टाग्राम पर उसके एक पोस्ट में बताया गया, "रिसायकल किए हुए कागज ऊर्जा को कम करता है और जंगलों की कटाई रोकने में मदद करता है। भारत में रोजाना किचन से निकलनेवाला कचरा औसतन एक किलो होता है, अगर हर शख्स सब्जी के छिलकों को कागज में रिसायकल करना शुरू कर दे, तो सभी का पारिस्थितिक संकट को कम करने में योगदान हो सकता है."