ओर्टेगा। स्पेन में एक छात्र के स्कर्ट पहनने के बाद उसे स्कूल से निकाल दिया गया था। इसके बाद से ही इस देश में एक आंदोलन खड़ा हो चुका है। इस आंदोलन का नाम है 'कपड़ों का कोई जेंडर नहीं होता' और इस बच्चे के समर्थन के लिए कई स्कूलों के शिक्षक स्कर्ट पहनकर आने लगे हैं। स्पेन के टीचर्स की इस हरकत पर देश-दुनिया के कई लोगों की नजर है। बहुत से लोगों के लिए यह हंसी-मजाक का विषय है, हाल ही में 37 साल के टीचर मैन्युएल ओर्टेगा और 36 साल के टीचर बोर्जा वेलाजक्वेज ने भी इस मूवमेंट को जॉइन किया है। स्पेन में टीचर स्कर्ट पहनकर स्कूल पहुंच रहे हैं। लेकिन इसके जरिये स्पेन के टीचर्स ने जो संदेश दिया है उसके लिए उनकी खूब प्रशंसा भी हो रही है। दरअसल, यह एक कैंपेन का हिस्सा है, जिसके बाद पूरे देश को इसने प्रभावित किया है। डेलीमेल की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल अक्टूबर में एक छात्र स्कर्ट पहनकर अपनी क्लास में पहुंचा था। जिसके बाद उसे स्कूल से ही निकाल दिया गया। मानसिक रूप से कमजोर बताकर उसे मनोवैज्ञानिक के भी पास भेजा गया था। इसके बाद से ही पूरे देश में उस बच्चे के लिए कैंपेन चलाया जा रहा है। जिसमें टीचर्स के साथ अन्य लोग भी स्कर्ट पहन रहे हैं।
लैंगिक समानता को लेकर शुरू यह कैंपेन शुरू हुआ था, लेकिन अब इसने बड़ा रूप ले लिया है। अब पूरे स्पेन में 'क्लॉथ्स हैव नो जेंडर' कैंपेन चल रहा है। इस आंदोलन को लोगों का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। स्कूल से निकाले जाने के बाद छात्र ने अपनी स्टोरी सोशल मीडिया पर शेयर की। जिसमें उसने बताया कि स्कर्ट पहनने के पीछे सिर्फ महिलावाद और विविधता का समर्थन करने की सोच थी। गणित के शिक्षक जोस पिनास ने छात्र को निकाले जाने के बाद द क्लॉथ हैव नो जेंडर कैंपेन की शुरुआत नवंबर में की थी। हालांकि शुरुआत धीमी रही लेकिन अब यह आंदोलन ज्यादा चर्चा में आ गया है। अब कुछ और टीचर चर्चा में आए हैं। मैन्युएल ओर्टेगा और बोर्जा वेलायक्वेज करीब एक महीने से स्कर्ट पहनकर आ रहे हैं।