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पेशावर मस्जिद ब्लास्ट के बाद अब TTP ने PAKISTAN में पुलिस स्टेशन को बनाया निशाना

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 1 2023 4:27PM | Updated Date: Feb 1 2023 4:27PM
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पाकिस्तान का तहरीक-ए-तालिबान (TTP) संगठन दिन-ब-दिन उसके लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहा है। पेशावर की मस्जिद में आत्मघाती हमला कर 100 लोगों की जान लेने के बाद अब TTP ने पाकिस्तान में एक पुलिस स्टेशन पर जबरदस्त अटैक कर दिया। पाकिस्तानी मीडिया डॉन के मुताबिक TTP के कई हथियारबंद हमलावरों ने पंजाब के मियांवाली जिले में स्थित पुलिस स्टेशन पर मंगलवार रात हमला कर दिया। हमलावरों के पास भारी तादाद में हथियार मौजूद थे। हालांकि, पंजाब पुलिस ने दावा किया है कि देर रात अटैक को नाकाम कर दिया गया। इससे पहले भी TTP पाकिस्तान में कई पुलिस चौकियों को अपना निशाना बना चुका है।

बता दें कि पेशावर में मस्जिद पर हुए आत्मघाती हमले में अब तक 100 लोग जान गंवा चुके हैं। धमाके में घायल हुए 200 से ज्यादा लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। इनमें से कई जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। यानी मरने वालों की संख्या अभी और बढ़ सकती है। हमले की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सोमवार की दोपहर को हुए ब्लास्ट में मरने वालों की लाश मंगलवार दोपहर तक मलबे से निकलती रही। बता दें कि पाकिस्तान तालिबान ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। पाकिस्तान तालिबान को तहरीक-ए-तालिबान के नाम से भी जाना जाता है। टीटीपी ने धमाके के बाद बयान जारी कर कहा था कि उन्होंने पिछले साल अगस्त में अपने नेता उमर खालिद खुरासनी की हत्या का बदला लिया लिया है। खुलेआम ये दावा करके टीटीपी ने एक तरह से पाकिस्तान की सरकार को खुली चुनौती दे दी है। उमर खालिद खुरासनी की मौत अगस्त 2022 में अफगानिस्तान में तब हुई थी, जब उसकी कार को निशाना बनाकर एक धमाका किया गया था। इसमें खुरासनी समेत 3 लोग मारे गए थे।

2007 में कई सारे आतंकी गुट एकसाथ आए और इनसे मिलकर बना तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान। टीटीपी को पाकिस्तान तालिबान भी कहते हैं। इसका मकसद पाकिस्तान में इस्लामी शासन लाना है। अगस्त 2008 में पाकिस्तानी सरकार ने टीटीपी को बैन कर दिया था। हालांकि, टीटीपी की जड़ें 2002 में ही जमनी शुरू हो गई थीं। अक्टूबर 2001 में जब अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान की सत्ता से तालिबान को बेदखल किया तो उसके आतंकी भागकर पाकिस्तान में बस गए थे। इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने इन आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन शुरू कर दिया था। दिसंबर 2007 में बैतुल्लाह महसूद ने टीटीपी का ऐलान किया। 5 अगस्त 2009 को महसूद मारा गया। उसके बाद हकीमउल्लाह महसूद टीटीपी का नेता बना। 1 नवंबर 2013 को उसकी भी मौत हो गई। हकीमउल्लाह की मौत के बाद मुल्ला फजलुल्लाह नया नेता बना। 22 जून 2018 को अमेरिकी सेना के हमले में वो भी मारा गया। अभी नूर वली महसूद टीटीपी का नेता है।

 

पाकिस्तान तालिबान अफगानिस्तान के तालिबान से अलग है। लेकिन दोनों का मकसद एक ही है और वो ये कि चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंको, कट्टर इस्लामिक कानून लागू कर दो। अमेरिकी सरकार की एक रिपोर्ट बताती है कि टीटीपी का मकसद पाकिस्तानी सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ आंतकी अभियान छेड़ना है और तख्तापलट करना है टीटीपी के नेता खुलेआम कहते हैं कि उनका मकसद पूरे पाकिस्तान में इस्लामी खिलाफत लाना है और इसके लिए पाकिस्तानी सरकार को उखाड़ फेंकने की जरूरत होगी। आतंकवाद को हमेशा समर्थन करते आए पाकिस्तान को भी अब अहसास होने लगा है कि आतंकी उनके देश को ही नुकसान पहुंचाने लगे हैं। पेशावर ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ (Khawaja Asif) का बयान आया। उन्होंने कहा, 'जिस तरह हमारे देश (पाकिस्तान) में नमाजियों पर आए दिन आतंकी हमले होते रहते हैं। श्रद्धालुओं पर ऐसे हमले भारत या इजराइल में कभी नहीं होते।'पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक ख्वाजा आसिफ ने यह बात नेशनल असेंबली (पाकिस्तान की संसद) में कही। उन्होंने कहा, 'नमाज अदा करने वालों को तो भारत और इजराइल में भी नहीं मारा गया, लेकिन पाकिस्तान में ऐसा हुआ।' पाकिस्तान के लोगों से दुख की घड़ी में एक साथ आगे आने की अपील करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि अब आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि हमें अपने घर (पाकिस्तान) को सुधारने की जरूरत है।

 
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