इस्लामाबाद। पाकिस्तान में बलूचिस्तान के लोग चीन के ड्रीम प्रोजेक्ट सीपीईसी के विरोध में पूरे प्रांत में उठ खड़े हुए हैं। उन्होंने सेना के राजनीतिकरण और चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर (सीपीईसी) से देश को खतरा बताया है। सीपीईसी मेगा प्रोजेक्ट में चीन ने पैसा लगाया है। सीपीईसी में लगे चीनी कर्मचारियों पर लगातार हमले हो रहे हैं, जिससे चीन परेशान है। सीपीईसी के प्रति लोगों का विरोध प्रदर्शन अब पाकिस्तान के बंदरगाह शहर ग्वादर सिटी की गलियों तक पहुंच गया है, जहां पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष के दौरान फायरिंग और पत्थरबाजी आम हो गई है।
लोगों का यह विरोध प्रदर्शन नव गठित समूह 'हक दो तहरीक' के बैनर तले हो रहा है। इस समूह का नेतृत्व मौलाना हिदयातुर रहमान बलूच कर रहे हैं, जो पहले से ही बलूचिस्तान के जमीत-ए-इस्लामी के महासचिव हैं। यह समूह संघीय और प्रांतीय सरकार द्वारा लोगों की उचित मांगों को नजरअंदाज करने से खफा है। इन मांगों में ग्वादर जल अवैध ट्रालिंग, बड़ी संख्या में सुरक्षा चेकप्वाइंट और पाकिस्तान-ईरान सीमा से व्यापार शामिल है। सीपीईसी परियोजना ने इस क्षेत्र में पारंपरिक मछली पकड़ने के रोजगार को छीन लिया है। इससे बड़ी संख्या में इन्हें विस्थापित होना पड़ा है। हालांकि, सरकार कुछ मांगों को मानकर विरोध प्रदर्शन को शांत करने के प्रयास में लगी है। इस बीच, बलूच विद्रोहियों ने सुरक्षा बलों पर हमले कर पाकिस्तान सरकार की नाक में दम कर दिया है।