वाशिंगटन। नासा ने एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स के साथ मिलकर इस अभियान को शुरू किया है। स्पेस एक्स के फाल्कन-9 राकेट की मदद से नासा ने डार्ट (डबल एस्टेरायड रीडायरेक्शन टेस्ट) यान रवाना किया है। फुटबाल के मैदान जितना है डार्ट से जिस डायमार्फस एस्टेरायड को निशाना बनाया जाएगा, वह करीब एक फुटबाल के आकार का है। वह अपने से पांच गुना बड़े दूसरे एस्टेरायड का चक्कर लगा रहा है। दो एस्टेरायड के इस सिस्टम को डायडिमोस कहा जाता है। यह ग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ होता है जुड़वां। इसे इसीलिए चुना गया है, क्योंकि इससे टक्कर के प्रभाव को समझने में मदद मिलेगी और यह अध्ययन किया जा सकेगा कि धरती के सापेक्ष किसी एस्टेरायड की दिशा बदलने का यह प्रयास कितना कारगर हो सकता है। छोटी कार के आकार का पेलोड 10 महीने का सफर कर धरती से करीब 1.1 करोड़ किलोमीटर दूरी तक जाएगा। वहां यह डायमार्फस नाम के एक एस्टेरायड से टकराकर उसका रास्ता बदलेगा। इस टक्कर से 10 दिन पहले एक छोटे ब्रीफकेस के आकार का यान उससे अलग हो जाएगा, जो इस टक्कर को रिकार्ड करेगा और तस्वीरें धरती पर भेजेगा। विज्ञानी इस टक्कर के जरिये एस्टेरायड के आर्बिटल ट्रैक को कम से कम 73 सेकेंड कम करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। उनका मानना है कि लाखों किलोमीटर दूरी पर चक्कर काट रहे एस्टेरायड के मार्ग में यह जरा सा बदलाव भी धरती की ओर आते उसके रास्ते को बहुत बदल देगा।
नासा ने एस्टेरायड से जुड़े और भी अभियान चलाए हैं। पिछले महीने ही बृहस्पति ग्रह के चारों ओर चक्कर लगा रहे एस्टेरायड समूह ट्रोजन के बारे में जानकारी जुटाने के लिए अभियान लांच किया है। इसी तरह ओसिरेसरेक्स यान इस समय धरती की ओर लौट रहा है। इस यान ने पिछले साल अक्टूबर में बेनु एस्टेरायड से सैंपल जुटाए थे। बड़ा खतरा हो सकते हैं एस्टेरायड: करीब 6.6 करोड़ साल पहले धरती से एक विशाल एस्टेरायड टकराया था। इसी एस्टेरायड की टक्कर के कारण डायनासोर का अस्तित्व समाप्त हो गया था। डार्ट से जिस एस्टेरायड को निशाना बनाया जा रहा है, उससे धरती को कोई खतरा नहीं है, लेकिन विज्ञानियों का कहना है कि आने वाले समय में बहुत से छोटे एस्टेरायड भी खतरे का कारण बन सकते हैं।