वाशिंगटन। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की बैठक में कहा है ‘‘ भारत मानता है कि वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सार्वभौमिक टीकाकरण महत्वपूर्ण है और कम आय वाले देशों और विकसित देशों के टीकाकरण कवरेज में भारी अंतर चिंता का विषय है।
इसलिये यह महत्वपूर्ण है कि हमें टीका असमानता को दूर करने पर जोर देना चाहिए।’’ सीतारमण ने 14 अक्टूबर को वाशिंगटन डीसी में आईएमएफ के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की अंतरराष्ट्रीय मुद्रा और वित्तीय समिति की पूर्ण बैठक में भाग लिया। वार्षिक बैठक 2021 में आईएमएफ के 190 सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले गवर्नरों/अल्टर्नेट गवर्नरों ने भाग लिया। वार्षिक बैठक 2021 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की अंतरराष्ट्रीय मुद्रा और वित्तीय समिति की पूर्ण बैठक जारी है।
बैठक में चर्चा का विषय ‘‘टीका लगाना, जांचना और इसकी गति तेज करना’’ था आईएएफ की वैश्विक नीति एजेंडा का विषय है। आईएमएफसी के सदस्यों ने कोविड-19 का मुकाबला करने और आर्थिक सुधार के लिए सदस्य देशों द्वारा किए गए कार्यों और उपायों के बारे में विस्तार से बताया।
वित्त मंत्री ने जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए समानता और साझा, लेकिन अलग-अलग, जिम्मेदारियों और क्षमताओं के सिद्धांतों के साथ बहुपक्षीय दृष्टिकोण के महत्व पर जोर दिया। सीतारमण ने कहा कि किफायती वित्तपोषण और प्रौद्योगिकी तक पहुंच प्राप्त करने में विकासशील देशों के सामने आने वाली विकट चुनौतियों की पहचान करना महत्वपूर्ण है।
आईएमएफसी की पूर्ण बैठक में भाग लेने से पहले, सीतारमण ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की सीमित ब्रेकफास्ट मीटिंग में भी हिस्सा लिया। कोविड-19 महामारी के मुद्दे और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों की प्रतिक्रिया पर बोलते हुए, वित्त मंत्री ने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ युद्ध जीतने के लिए, यह जरूरी है कि हम स्वतंत्र रूप से चिकित्सा अनुसंधान साझा करें और अनुकूल, जवाबदेह, किफायती और सुलभ स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली विकसित करें।
कोविड-19 टीके की उपलब्धता और आर्थिक सुधार के मुद्दे पर, सीतारमण ने टीके तक पहुंच और उपलब्धता में अधिक निष्पक्षता का आग्रह किया क्योंकि दुनिया संकट से उबरने और विकास की दिशा में तेजी से आगे बढ़ना चाहती है।
वित्त मंत्री ने कहा कि महामारी संकट के बावजूद, भारत ने संरचनात्मक सुधारों के अपने एजेंडे को जारी रखा है। कृषि, श्रम और वित्तीय क्षेत्र सहित व्यापक सुधारों से अर्थव्यवस्था में तेजी आने की उम्मीद है।
आईएमएफसी की साल में दो बार बैठक होती है। पहली बैठक अप्रैल में फंड-बैंक स्प्रिंग मीटिंग के दौरान होती है और दूसरी अक्टूबर में वार्षिक बैठक के दौरान होती है। समिति वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाली सामान्य चिंता के मामलों पर चर्चा करती है और आईएमएफ को उसके काम की दिशा में सलाह देती है।