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पाकिस्तान में मानसिक रूप से बीमार महिला प्रिंसिपल को मौत की सजा, इस मामले में हुई सजा-ए-मौत

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 30 2021 2:27PM | Updated Date: Sep 30 2021 2:27PM
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इस्लामाबाद। लाहौर की एक अदालत ने तौहीन-ए-रिसालत (ईशनिंदा) के मुकदमे में एक मुसलमान महिला को सजा-ए-मौत और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। लाहौर की जिला एवं सत्र अदालत ने सोमवार को निश्तर कॉलोनी के एक निजी स्कूल की प्रिंसिपल सलमा तनवीर को मौत की सजा सुनाई। अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश मंसूर अहमद ने फैसले में कहा कि तनवीर ने पैगंबर मुहम्मद को इस्लाम का अंतिम पैगंबर नहीं मानकर ईशनिंदा की। लाहौर पुलिस ने 2013 में एक स्थानीय मौलवी की शिकायत पर तनवीर के खिलाफ ईशनिंदा का मामला दर्ज किया था। उसपर पैगंबर मुहम्मद को इस्लाम का अंतिम पैगंबर नहीं मानने और खुद को इस्लाम का पैगंबर होने का दावा करने का आरोप लगाया गया था। 

स्कूल की प्रिंसिपल सलमा तनवीर के खिलाफ आरोप यह था कि उन्होंने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। तनवीर के वकील मुहम्मद रमजान ने दलील दी थी कि उनके मुवक्किल की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है और अदालत को इस मामले में गौर करना चाहिए। वहीं, मौलवी की ओर से पेश हुए वकील ने अदालत को पंजाब इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के एक मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि आरोपी महिला संदिग्ध मुकदमा चलाने के लिए फिट है क्योंकि उसकी मानसिक रूप से बिलकुल स्वस्थ है।
ईशनिंदा के लिए दोष सिद्धि और मौत की सजा ने फिर से देश के विवादास्पद कानूनों की ओर ध्यान आकर्षित किया है। पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता आरिफ आजाकिया ने कहा कि मौत की सजा से पता चलता है कि मानव अधिकारों के साथ क्या हो रहा है। वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत, हुसैन हक्कानी ने बताया कि मीडिया ने इस तथ्य को कम करके आंका था कि आरोपी एक प्रिंसिपल था और बस लिखा था, "पाकिस्तान की ईशनिंदा दुःस्वप्न जारी है"।  
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