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UN में भारत ने कहा, अफगानिस्तान के हालात देश के लिए है बड़ा खतरा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 10 2021 9:28PM | Updated Date: Sep 10 2021 9:28PM
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संयुक्त राष्ट्र। अफगानिस्तान के हालात को बेहद नाजुक बताते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि वहां के हालात सीधे तौर पर भारत के लिए खतरा हैं। यह बेहद जरूरी है कि अफगानी जमीन से आतंकवाद नहीं होने देने के अपने वादे पर तालिबान कायम रहे। उसके इस वादे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 के तहत पाकिस्तान के प्रतिबंधित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद का भी जिक्र है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस तिरमूर्ति ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषषद में अफगानिस्तान पर हुई चर्चा में कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से निजी लाभ के लोभ से ऊपर उठकर अफगानिस्तान के लोगों के साथ खड़े होने की अपील की है। ताकि इस देश के लोग शांति, स्थिरता और सुरक्षा के साथ जी सकें।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के संबोधन में कहा कि अफगानिस्तान का करीबी पड़ोसी और वहां के लोगों का मित्र होने के नाते वहां के मौजूदा हालात सीधे तौर पर भारत के लिए भी खतरा हैं। वहां के लोगों की सुरक्षा के लिए तो अनिश्चितता है ही, पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान में निर्मित आधारभूत ढांचों और इमारतों के लिए भी यह अनिश्चितता का समय है।
 
उन्होंने कहा कि भारत पिछले महीने अपनी अध्यक्षता में 15 देशों के इस संगठन में ठोस और दूरगामी नतीजों वाले प्रस्तावों को अंगीकार करने में सफल रहा है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान को लेकर प्रस्ताव के लिए सभी चिंतित थे। खासकर चिंतित सभी सदस्य देशों का मानना है आतंकवाद के मुद्दे पर अफगानिस्तान के लिए बड़ा खतरा है। इसलिए जरूरी है कि तालिबान अपने वादे से मुकरे नहीं। तिरमूर्ति ने सुरक्षा परिषद के महासचिव के विशेष प्रतिनिधि डेब्राह लियोन्स से कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 (1999) के तहत आइएस, अलकायदा और अन्य आतंकी संगठनों को शामिल किया गया है। जैश के संस्थापक मसूद अजहर और लश्कर के सरगना हाफिज सईद को भी इसी प्रस्ताव के तहत वैश्विक आतंकियों की सूची में डाला जा चुका है।
 
प्रस्ताव 2593 के तहत तालिबान के उस बयान का संज्ञान लिया गया है जिसके तहत अफगान बिना किसी रोकटोक के देश से बाहर जाने के लिए उ़़डान भर सकेंगे। इसे देखते हुए हमें अफगानी महिलाओं के भविष्य की अनिश्चितता को भी देखना होगा। बच्चों की अपेक्षाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की भी रक्षा करनी होगी। उन्होंने कहा कि हाल के सालों में अफगानिस्तान पहले ही बहुत खूनखराबा और हिंसा देख चुका है। अब हमें महिलाओं, बच्चों, अल्पसंख्यकों समेत सभी अफगानों को शांति और सम्मान से रहने में सक्षम बनाना होगा।  
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