चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 25 जुलाई को दक्षिण पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत की राजधानी छंगतु में फिनलैंड के विदेश मंत्री पेक्का हाविस्टो के साथ वार्ता की संयुक्त रूप से संवाददाताओं से मिले। यह पूछे जाने पर कि कुछेक देशों ने चीन को बदनाम करने के लिए कोरोना वायरस की ट्रेसबिलिटी के मुद्दे का उपयोग किया, इसे चीन कैसे देखता है?
वांग यी ने कहा कि वायरस ट्रेसबिलिटी एक गंभीर वैज्ञानिक मुद्दा है। वैज्ञानिकों को कोरोना वायरस के स्रोत का स्पष्ट रूप से अध्ययन करने की अनुमति दी जानी चाहिए, ताकि भविष्य के जोखिमों को बेहतर ढंग से रोका जा सके। जब हम एकजुट होंगे, तभी हम वास्तव में इस वायरस को हरा सकते हैं।
चीनी विदेश मंत्री ने बल देते हुए कहा कि चीन ने हमेशा खुले रवैये के साथ अंतर्राष्ट्रीय ट्रैसेबिलिटी सहयोग में भाग लिया है। चीन ने दो बार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के विशेषज्ञों को अपने यहां वायरस ट्रैसेबिलिटी संयुक्त अनुसंधान के लिए आमंत्रित किया, इसके लिए बड़ी कोशिश भी की।
डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञ उन सभी जगहों पर गए जहां वे जाना चाहते थे। उन सभी लोगों से मिले जिन्हें वे देखना चाहते थे। वैज्ञानिक निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि प्रयोगशाला रिसाव बेहद असंभव है, उन्होंने वैश्विक दायरे में संभावित शुरुआती रोग मामलों की खोज वायरस के कोल्ड चेन ट्रांसमिशन की संभावना का शोध जैसे महत्वपूर्ण सुझाव पेश किए।
वांग यी ने कहा कि कोरोना वायरस के स्रोत की खोज करनी चाहिए, इसके साथ ही राजनीतिक वायरस को भी तलाशना चाहिए। हाल ही में डब्ल्यूएचओ सचिवालय ने सदस्य देशों द्वारा चर्चा के लिए दूसरे चरण की ट्रेसबिलिटी योजना को सामने रखा, जिसने वैज्ञानिकों को आश्चर्यचकित किया है। यह न केवल 73वीं विश्व स्वास्थ्य महासभा के प्रस्ताव की मांग से विचलित हुआ, बल्कि इसने संयुक्त शोध रिपोर्ट के पहले चरण के निष्कर्षों सुझावों की भी अनदेखी की।