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रहीस सिंह का ब्लॉग, अफगानिस्तान के नागरिक अपने भाग्य पर इतराएं या रोएं!

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 20 2021 6:17PM | Updated Date: Jul 20 2021 6:18PM
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प्रकृति की गोद में बसा वह देश, जिसके शोतरुघई, देसली और मुंडीगाक जैसे बहुत से पुरास्थल दुनिया की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक 'सिंधु-सरस्वती' की खूबसूरत कहानी बयां करते हैं और जिसके बामियान जैसे स्थल एक महान कला (गांधार कला) में सन्निहित प्रतीकों के माध्यम से दुनिया को भारतीय उपमहाद्वीप की लौकिक सृजनशीलता और संदेशों से परिचित कराते हैं, अब किस हाल में है और उसे किस रूप में देखा जा रहा है? हम अफगानिस्तान की बात कर रहे हैं जो इतिहास की कई सदियों तक एशिया के व्यापारियों के लिए 'क्रॉस रोड्स' और तमाम संस्कृतियों के लिए 'मीटिंग प्लेस' के रूप में जाना जाता रहा। 

आज वह अपनी मौलिकता की मृत्यु का इतिहास लिख रहा है अथवा किसी चीज के उदय का, पता नहीं. सच तो यह है कि काबुलीवाले का देश एक अजीब सी स्थिति से गुजर रहा है। नाटो फौजें वापस जा रही हैं और नाटो देश भारी मन से घोषणा कर रहे हैं कि अफगानिस्तान में उनका 20 साल का सैन्य मिशन पूरा हो गया। अफगान बच्चे हिंदूकुश की तलहटी में बिखरे हुए कचरे के ढेर में अपनी जिंदगी तलाश रहे हैं, तालिबान फिर से पूरे आत्मविश्वास के साथ अफगानिस्तान में एक नई पटकथा लिख रहा है और मिस्टर प्रेसीडेंट (जो बाइडेन) व्हाइट हाउस के ईस्ट रूम में बैठकर कह रहे हैं कि वहां (अफगानिस्तान) के लोगों को अपना भविष्य खुद तय करना चाहिए। ऐसे में अफगानिस्तान के लोग अपने भाग्य पर इतराएं या रोएं?

अब से कुछ समय पहले तक यह सवाल किया जा रहा था कि क्या तालिबान अमेरिकी गेम का हिस्सा बनेंगे, पर अब कहा जा रहा है, क्या अमेरिका तालिबान गेम का हिस्सा बन गया है। ऐसा क्यों हुआ और कैसे हुआ? दरअसल तालिबान की चाहत अफगान समस्या का समाधान नहीं सत्ता रही है। इसके लिए उनके रोडमैप को ही शायद दोहा में मान्यता मिल गई। दोहा में लिखी गई अमेरिकी स्क्रिप्ट शांति का रोडमैप कम, अफगान लोकतंत्र और अफगान स्वतंत्रता को संकट में डालने का रोडमैप अधिक था। शायद इसलिए कि अमेरिका इज्जत के साथ अफगानिस्तान से निकल सके। ध्यान रहे कि पहले अमेरिकी सैनिकों द्वारा अफगानिस्तान छोड़ने की अवधि 11 सितंबर थी जो अब 31 अगस्त हो गई है। इसके बाद तालिबान के लिए काबुल की ओर जाने वाले राजमार्ग की बाधाएं कम व संभावनाएं ज्यादा हो जाएंगी।

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