20 Apr 2024, 02:55:29 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » World

फुटबॉल मैच में हुई हार ने बेपर्दा किया इंग्लैंड के नस्लवाद को, प्रधानमंत्री तक पहुंची आंच

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 13 2021 7:34PM | Updated Date: Jul 13 2021 7:34PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

यूरो फुटबॉल टूर्नामेंट के फाइनल में इंग्लैंड की हार के बाद टीम के कुछ खिलाड़ियों को लेकर देश में चलाए गए नस्लभेदी अभियान की आंच अब प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन तक पहुंच गई है। उनकी यह कह कर आलोचना हो रही है कि टूर्नामेंट की शुरुआत में ही अगर उन्होंने नस्लभेद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया होता, तो ब्रिटेन की छवि पर आज जैसा कलंक नहीं लगता। जॉनसन ने कहा है कि फुटबॉल टीम के तीन खिलाड़ियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर गाली-गलौच से उन्हें सदमा पहुंचा है। लेकिन फुटबॉल खिलाड़ी टायरॉन मिंग्स ने एक ट्विट में कहा, आपने शुरुआत में ही आग नहीं बुझाई, जब रंगभेद के खिलाफ संदेश देते समय खिलाड़ियों की हूटिंग की गई। अब आप निराशा जताने का दिखावा कर रहे हैं।

टूर्नामेंट के दौरान इंग्लैंड की टीम के खिलाफ हर मैच की शुरुआत में घुटने के बल झुक कर रंगभेद पर अपना विरोध जताती थी। उस समय दर्शकों की तरफ से उनके खिलाफ शोर मचाया जाता था। आरोप है कि जॉनसन सरकार ने उसे रोकने के कदम नहीं उठाए। विपक्षी लेबर पार्टी के नेता कियर स्टार्मर ने आरोप लगाया है कि जॉनसन नेतृत्व की परीक्षा में नाकाम हो गए हैं। उनके पास मौका था कि टूर्नामेंट के आरंभ में ही खिलाड़ियों का मखौल उड़ाने वाले लोगों की निंदा करते।

फाइनल मैच का फैसला पेनाल्टी शूटआउट से हुआ। उस दौरान इंग्लैंड के तीन खिलाड़ी- कुबायो साका, मार्कस रैशफॉर्ड और जेडॉन सांचो गोल नहीं कर पाए। ये तीनों अश्वेत खिलाड़ी हैं। मैच के तुरंत बाद उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर अश्लील अभियान शुरू हो गया। ब्रिटेन के राजकुमार विलियम को भी इसकी निंदा के लिए आगे आना पड़ा। उन्होंने कहा- इंग्लैंड की टीम हीरो के रूप में हमारी प्रशंसा की हकदार है, उसे नस्लीय गालियां नहीं दी जानी चाहिए।

यूरोप फुटबॉल के इतिहास में ये पहला मौका था, जब इंग्लैंड की टीम फाइनल तक पहुंची। 1966 में वर्ल्ड कप जीतने के 55 साल बाद इंग्लैंड के सामने कोई बड़ा टूर्नामेंट जीतने का मौका आया था। इसे लेकर देश में उत्साह का माहौल था। फाइनल से पहले बहु-नस्लीय खिलाड़ियों वाली इस टीम की खूब तारीफ की जा रही थी। लेकिन हार के तुरंत बाद माहौल उलटा हो गया।

इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी और अब टीवी चैनल स्काई स्पोर्ट्स के कमेंटेटर गैरी नेविल ने एक अमेरिकी टीवी चैनल से बातचीत करते हुए कहा- 'किसी फुटबॉल मैच के बाद अगर नस्लभेदी गालियां दी जाती हैं, तो मुझे उसकी अपेक्षा रहती है। इसलिए कि मैं जानता हूं कि इंग्लैंड में नस्लभेद है। असल में इस भावना को बढ़ावा प्रधानमंत्री ने ही दिया है।' नेविल ने ध्यान दिलाया कि प्रधानमंत्री बनने से पहले जॉनसन जब एक अखबार के स्तंभकार थे, तब वे अफ्रीकी, एशियाई और कैरिबियाई देशों से आकर यहां बसे लोगों के लिए अपमान जनक टिप्पणियां करते थे।

रविवार रात इटली के खिलाफ फाइनल मैच में उतरी इंग्लैंड शुरुआती टीम के 11 में से सात खिलाड़ी ऐसे थे, जिनके माता-पिता या दादा-दादी का जन्म ब्रिटेन से बाहर हुआ था। साका के माता-पिता नाईजीरिया के सांचो के ट्रिनिडाड और टोबैगो के और रैशफोर्ड के सेंट किट्स के थे। इसी कारण इंग्लैंड के प्रति उनकी निष्ठा पर सवाल उठा दिया गया। पर्यवेक्षकों का कहना है कि इससे एक फुटबॉल प्रेमी देश की आबादी के एक बड़े हिस्से की नस्लभेदी सोच उजागर हो गई है। इंग्लैंड को इस कलंक से उबरने में लंबा वक्त लगेगा।

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »