24 Apr 2024, 14:11:46 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » World

कोरोना के इलाज मे ऊंट होगा कारगर, जानिए क्‍या कहतीं नई रिसर्च

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 4 2021 2:44PM | Updated Date: May 4 2021 2:44PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

दुबई। ऊँट कैमुलस जीनस के अंतर्गत आने वाला एक खुरधारी जीव है। अरबी ऊँट के एक कूबड़ जबकि बैकट्रियन ऊँट के दो कूबड़ होते हैं। अरबी ऊँट पश्चिमी एशिया के सूखे रेगिस कहते है स्तनिकी (Mammalogy) स्तन धारियों में ऊँट का शारीरिक तापमान एक दिन में बहुत परिवर्तित हो सकता है। कोरोना वायरस से निपटने के लिए संयुक्त अरब आमिरात (UAE) में एक नए तरह का रिसर्च चल रहा है। यह रिसर्च वहां के कूबड़दार ऊंटों (dromedaries) पर किया जा रहा है। वहां के वैज्ञानिक ऊंटों में कोरोना वायरस के मृत स्ट्रेन को डालकर टेस्ट कर रहे हैं और एंटीबॉडी बनने का रिजल्ट देख रहे हैं. यूएई के वैज्ञानिकों को लग रहा है कि जिस तरह ऊंट कोविड के लिए इम्यून हैं, उसी तरह उनपर किया जाने वाला क्लीनिकल ट्रायल कोविड का कोई कारगर इलाज जरूर ढूंढेगा।
 
डॉ. उलरिक वार्नरी यूएई के सेंट्रल वेटनरी रिसर्च लेबोरेटरी के हेड हैं और वे दुबई के जाने माने माइक्रोबायोलॉजिस्ट भी हैं. आजकल इनकी टीम कूबड़दार ऊंटों में कोविड-19 वायरस के मृत सैंपल का इंजेक्शन दे रहे हैं. यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि ऊंटों में इसकी एंटीबॉडी बनती है या नहीं। अगर बनती है तो वह कितनी मजबूती से काम करेगी और इंसानों पर इसका क्या फायदा होगा। ऊंट पूर्व में मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS) के वाहक रहे हैं और यह वायरस कोविड से पहले दुनिया में आया था. मर्स के चलते खतरनाक सांस की बीमारी, पेट में संक्रमण, किडनी फेल्योर और मौत की शिकायतें मिली थी. अभी तक की स्टडी से पता चला है कि कूबड़दार ऊंटों पर कोविड-19 का कोई असर नहीं होता।
 
ऊंटों को क्यों नहीं होता कोरोना
 
ऊंटों में वायरस रिसेप्टर सेल नहीं होता जो किसी वायरस को अपने से चिपकने दे. इंसानों और अन्य जानवरों में वायरस रिसेप्टर सेल पाया जाता है जिससे कि उन्हें कोरोना का संक्रमण होता है. लेकिन ऊंट में यह सेल नहीं पाए जाने से वे कोरोना से मुक्त होते हैं। डॉ. वार्नरी ने ‘Alarabia‘ को बताया कि ऊंटों में मर्स वायरस पाया गया लेकिन इससे वे बीमार नहीं हुए। ऊंट की सांस की नली में पाए जाने वाले म्यूकोसा सेल में वायरस के रिसेप्टर सेल नहीं होता, जिससे कि ऊंटों में कोविड का इनफेक्शन नहीं होता।
 
किसे होता है संक्रमण
 
इंसान, ऊदबिलाव और बिल्लियों में कोविड का इनफेक्शन होता है। शेर और बाघ भी बिल्लियों की प्रजाति हैं जिन्हें कोरोना हो सकता है और ये संक्रमण को फैला सकते हैं। कुत्तों में भी कोरोना का संक्रमण पाया गया है। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि जानवरों से इंसानों में कोविड का संक्रमण फैलना मुश्किल है। कोरोना कैसे फैला अभी यह पता नहीं चल पाया है लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि यह चमगादड़ों के लिए जरिये इंसानों में आया है।
 
क्या कहती है रिसर्च
 
डॉ. वार्नरी का मानना है कि ऊंटों पर की जाने वाली रिसर्च सही दिशा में जा रही है और उम्मीद है कि इससे कुछ सही रिजल्ट मिलेगा. संभव है कि कोविड के इलाज में कुछ बड़ा ‘हथियार’ हाथ लग जाए. डॉ. वार्नरी ने कहा कि ऊंटों को पहले मृत कोविड वायरस से इम्युन किया गया ताकि उनमें एंटीबॉडी बन सके. फिर उनके ब्लड का टेस्ट किया जा रहा है ताकि कोविड का कोई कारगर इलाज मिल सके. उम्मीद है कि ऊंटों की एंटीबॉडी एक दिन कोविड मरीजों के लिए सफल इलाज का रास्ता खोलेगी. कोरोना के इलाज में अभी दुनिया में 7 तरह की वैक्सीन चल रही है और लगभग 200 वैक्सीन कंपनियां इस पर अपना रिसर्च कर रही हैं।
कोई कारगर दवा नहीं
 
कोविड के खिलाफ अभी तक कोई ऐसी दवा बाजार में नहीं आई जिसके बारे में कहा जाए कि वह शर्तिया इलाज प्रदान करती है। फेविपिरार, रेमडेसिविर या टेसिमिजुलैब जैसी दवाएं हैं लेकिन कहां तक कारगर हैं, इस बारे में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कह सकते. यहां तक कि मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन भी कोरोना के इलाज में दी जा रही है. लेकिन मृत्यु दर घटाने में कोई मदद नहीं मिल पा रही है। वैक्सीन के बारे में कहा जा रहा है कि दोनों डोज लेने पर यह बीमारी को घातक नहीं होने देत। 
 
यदि यह रिसर्च सफल होती हे तो कोरोना के इलाज में  ये दवा किसी चमत्‍कार से कम नही होगी। उम्मीद है कि ऊंटों की एंटीबॉडी एक दिन कोविड मरीजों के लिए सफल इलाज का रास्ता खोलेगी। कोरोना के इलाज में अभी दुनिया में 7 तरह की वैक्सीन चल रही है और लगभग 200 वैक्सीन कंपनियां इस पर अपना रिसर्च कर रही हैं।
 
 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »