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सेनकाकू द्वीप पर चीन सर्वे कर बढ़ा रहा तनाव, पूर्वी चीन सागर में युद्ध की स्थिति

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 29 2021 5:37PM | Updated Date: Apr 29 2021 5:45PM
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बीजिंग। सेनकाकू/डियाओयू द्वीपों को औपचारिक रूप से वर्ष 1895 से जापान द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एक लघु अवधि के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा भी इस क्षेत्र को नियंत्रित किया गया था। वर्ष 1972 से ये द्वीप जापान के अधिकार में है। वहीं, चीन का दावा है कि ये द्वीप उसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं और जापान को अपना दावा छोड़ देना चाहिए। इतना ही नहीं चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी तो इसपर कब्जे के लिए सैन्य कार्रवाई तक की धमकी दे चुकी है। सेनकाकू या डियाओस द्वीपों की रखवाली वर्तमान समय में जापानी नौसेना करती है। ऐसी स्थिति में अगर चीन इन द्वीपों पर कब्जा करने की कोशिश करता है तो उसे जापान से युद्ध लड़ना होगा।

पूर्वी चीन सागर में सेनकाकू द्वीप का चीन ने सर्वे कर जापान के कब्जे वाले सेनकाकू द्वीप को लेकर चीन तनाव बढ़ा रहा है। उसने इस बार द्वीप का लैंडस्केप या भूदृश्य सर्वे जारी किया है। चीन इसको अपना दिआओयू द्वीप बताता है। लैंडस्केप सर्वे जारी करते हुए ड्रैगन ने एक बार फिर इस पर दावा जताने की कोशिश की है। चीन के प्राकृतिक संसाधन विभाग ने सेनकाकू के साथ ही दो अन्य द्वीपों का सर्वे जारी किया है। इस द्वीप पर जापान का कब्जा होते हुए भी चीन और ताइवान दोनों ही अपना अधिकार जता रहे हैं।
 
इस माह के शुरुआत में जापान के विदेश मंत्री तोषिमित्सु मोटेगी ने चीन से आग्रह किया था कि वह पूर्वी चीन सागर स्थित सेनकाकु द्वीप के आस-पास जल क्षेत्र में अवैध घुसपैठ न करे और ऐसी गतिविधियों को रोक दे। चीनी मंत्रालय ने कहा है कि हाल के सर्वे से भौगोलिक स्थिति के आकंड़ों में सुधार होगा। इससे डिआओयू द्वीप के प्रबंधन और जलवायु सुरक्षा में सहायता मिलेगी। मंत्रालय ने इस पर रिपोर्ट जारी करते हुए यहां के नक्शे भी भी जारी किए हैं। इसके साथ ही कुछ फोटो भी जारी किए गए हैं। जिनमें सर्वे करने वाला पोत भी दिखाई दे रहा है। ज्ञात हो कि सेनकाकू द्वीप की सीमा में चीन कई बार घुसपैठ कर चुका है। सर्वे और इसकी रिपोर्ट जारी करने से जापान के साथ चीन का तनाव और बढ़ गया है।
 
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जापान की एक स्थानीय परिषद में चीन और ताइवान के साथ विवादित सेनकाकू द्वीपीय क्षेत्र में स्थित कुछ द्वीपों की प्रशासनिक स्थिति बदलने वाले विधेयक को मंज़ूरी दी गई है। विधेयक के अनुसार, टोक्यो द्वारा नियंत्रित सेनकाकू द्वीप के पास स्थित एक द्वीप जिसे जापान में 'टोनोशीरो' (Tonoshiro) तथा ताइवान और जापान में दियोयस (Diaoyus) के नाम से जाना जाता है, का नाम बदलकर टोनोशीरो सेनकाकू (Tonoshiro Senkaku) कर दिया गया है । किनावा द्वीप पर ‘इशिगाकी’ नामक एक नगर स्थित है। इशिगाकी नगर परिषद के एक हिस्से को टोनोशीरो के रूप में भी जाना जाता है, इससे लोगों में क्षेत्र को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रहती है। अत: इस भ्रम की स्थिति से बचने के लिये क्षेत्र के नाम में परिवर्तन किया गया है।
 
चीन की प्रतिक्रिया:
चीन, डियाओयू द्वीप तथा उससे संबद्ध क्षेत्र को अपनी सीमा में स्थित मानता है। चीन के अनुसार जापान द्वारा क्षेत्र की प्रशासनिक स्थिति में किया गया बदलाव चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन करता है तथा चीन अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के लिये दृढ़ है। सके अतिरिक्त चीन ने द्वीपों के आसपास के क्षेत्र में ‘जहाजों के बेड़े’ को भेज दिया है। 
ताइवान की प्रतिक्रिया:
ताइवान का कहना है कि डियाओयू द्वीपीय क्षेत्र उसके क्षेत्र का हिस्सा है तथा इन द्वीपों की प्रशासनिक स्थिति में किया जाने वाला किसी प्रकार का बदलाव ताइवान के लिये अमान्य है।
 
सेनकाकू द्वीप विवाद:
इस विवाद  का कारण पूर्वी चीन सागर में स्थित आठ निर्जन द्वीप हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल 7 वर्ग किमी. है। ये ताइवान के उत्तर-पूर्व, चीनी मुख्य भूमि के पूर्व में और जापान के दक्षिण-पूर्व प्रांत, ओकिनावा के दक्षिण-पश्चिम में स्थित हैं।
 
पृष्ठभूमि:
सेनकाकू/डियाओयू द्वीपों को औपचारिक रूप से वर्ष 1895 से जापान द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एक लघु अवधि के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा भी इस क्षेत्र को नियंत्रित किया गया था।
यहाँ के अनेक द्वीपों पर लोगों का निजी नियंत्रण रहा है। चीन ने वर्ष 1970 के दशक में इस क्षेत्र पर ऐतिहासिक अधिकारों का हवाला देते हुए सेनकाकू/दियाओयू द्वीपों पर दावे करना शुरू कर दिया।  तंबर, 2012 में जापान द्वारा एक निजी मालिक से विवादित द्वीपों को खरीदने पर तनाव फिर से शुरू हो गया।
विवादित क्षेत्र का आर्थिक महत्त्व:
यहाँ  संभावित तेल एवं प्राकृतिक गैस के भंडार हैं, 
प्रमुख शिपिंग मार्गों के पास स्थित है, 
समृद्ध मत्स्यन क्षेत्र में स्थित है
 
विवाद का कारण: 
यह क्षेत्र चीन-जापान-ताइवान के अतिव्यापी ‘विशेष आर्थिक क्षेत्र’ (Exclusive Economic Zone- EEZ) में स्थित है क्योंकि चीन और जापान को अलग करने वाले पूर्वी चीन सागर की लंबाई केवल 360 समुद्री मील  है, जबकि EEZ की लंबाई 200 समुद्री मील मानी जाती है।
 

 

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