वाशिंगटन। नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन का रोवर 'पर्सवियरन्स' आखिरकार मंगल पर उतर गया है। पर्सवियरन्स ने ये उपलब्धि बहुत संकटपूर्ण आखिरी चरण को पार करने के बाद हासिल की है। इस रोवर ने बीते साल जुलाई में पृथ्वी से अपनी यात्रा की शुरूआत की थी। इससे पहले नासा ने बयान जारी कर कहा था कि- जब पर्सवियरन्स अंतिम चरण को पूरा कर मंगल पर उतरेगा तो वे आखिरी सात मिनट बहुत जोखिमभरे होंगे। क्योंकि यही वो समय होगा जब रोवर 12,000 मील/घंटा की रफ्तार से चलते हुए पूरी तरह से ठहरेगा। बता दें कि पर्सवियरन्स मंगल के Jezero Crater नाम के जिस हिस्से में उतरा है, वो अब तक अनछुआ रहा है।
यहां करीब 30 अरब पुराने कई गड्ढे, चट्टान और पहाड़ मौजूद हैं। पर्सवियरन्स लाल रंग के ग्रह मंगल पर पुरातन सूक्ष्मजीवी जीवन से जुड़ी निशानियां तलाशेगा। और इन सभी सैंपल के साथ 2031 तक वापिस पृथ्वी पर लौटेगा। अगले दो साल में ये करीब 7 फीट लंबी आर्म से मंगल की सतह की खुदाई कर मिट्टी के सैंपल लेगा और उन्हें बेहद सुरक्षित किटाणु रहित टाइटेनियम ट्यूब्स में रखेगा। इस मिशन में मदद के लिए Perseverance को 25 कैमरों, माइक्रोफोन के एक पेयर, ड्रिल्स और लेजर के नाम के एक छोटे हेलीकॉप्टर से भी लैस किया है। कार के आकार का ये छह पहियों वाला पर्सवियरन्स नासा का अब तक का सबसे बड़ा और भारी रोवर है।
इसका वजन 1,025 किलोग्राम है और ये 10 फीट लंबा है। ये 0।1 मील/घंटा की अधिकतम रफ्तार से मंगल की सतह इधर-उधर घूम सकता है। मंगल पर लैंडिंग के बाद पर्सवियरन्स ने मंगल की ऊबड़-खाबड़ और पथरीली जमीन की दो तस्वीरें भेजी हैं, इनमें इस रोवर की अपनी छाया भी दिख रही है। बता दें कि बीते एक सप्ताह में मंगल पर इंसान की ये तीसरी दस्तक है। इससे पहले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और चीन के दो यान बीते सात दिन के दौरान मंगल की सतह पर उतरे हैं। इन तीनों ही यानों ने बीते 7 महीनों में करीब 300 मिलियन मील की यात्रा तय की है। गौरतलब है कि 1970 के बाद मंगल पर पहुंचने वाला पर्सवियरन्स नौंवा स्पेसक्राफ्ट है।