वियना। ईरान ने कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी को अपने परमाणु संयंत्रों की निगरानी नहीं करने देने के फैसले पर दोबारा विचार कर सकता है। आईएईए में ईरान के राजदूत काजिम गारिब अबादी ने एक वक्तव्य जारी कर यह बात कही। अबादी ने कहा कि आईएईए ने इस तथ्य की अनदेखी की है कि एजेंसी प्रत्येक वर्ष ईरानी परमाणु कार्यक्रम से जुड़े स्थलों पर 35 से अधिक मिशनों को अंजाम दे रही थी। ईरानी राजदूत ने कहा, ‘‘ इस तरह की अनदेखी से हमें आश्चर्य और गहरा दुख हुआ है। यदि इसी तरह की निगरानी की अनुमति को परमाणु ऊर्जा एजेंसी नहीं मानेगी तो ईरान के पास अपने हितों के मुताबिक फैसले लेने का अधिकार है।’’
आईएईए के महानिदेशक राफेल ग्रोसी ने सोमवार को कहा था कि ईरान से राजनीतिक तौर पर बातचीत शुरू करने के लिए पहले उसके परमाणु संयंत्रों की निगरानी करने की जरुरत है। गत सप्ताह समाचार एजेंसी रायटर ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि ईरान ने परमाणु समझौते का उल्लंघन करते हुए एक टन से अधिक मात्रा में कम संवर्धित यूरेनियम एकत्र कर लिया है। रायटर ने ईरान की परमाणु गतिविधियों पर आईएईए की एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह जानकारी दी थी। आईएईए ने ईरान से आग्रह कर कहा है कि वह परमाणु एजेंसी को अपने दो परमाणु संयंत्रों की निगरानी करने की अनुमति प्रदान करे तभी किसी भी प्रकार की बातचीत शुरू की जा सकती है।
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मई 2018 में ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका के अलग होने की घोषणा की थी। इसके बाद से ही दोनों देशों के रिश्ते बहुत ही तल्ख हो गये हैं। इस परमाणु समझौते के प्रावधानों को लागू करने को लेकर भी संशय की स्थिति बनी हुई है। अमेरिका ने ईरान पर कई प्रकार के प्रतिबंध भी लगाए हुए हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में ईरान ने अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। समझौते के तहत ईरान ने उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने के बदले अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने पर सहमति जतायी थी।