अफगानिस्तान ने अमेरिका-तालिबान शांति समझौते में एक दिन बाद ही कैदियों की रिहाई के लिए सार्वजनिक रूप से असहमती जताई है। अफगानिस्तान शांति समझौते पर संकट के बादल घिरते नजर आ रहे हैं। इसमें तालिबान कैदियों की रिहाई एक बड़ी वजह उभरकर सामने आई है। शांति समझौते के अगले दिन अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनकी सरकार तालिबान के 5 हजार कैदियों को रिहा नहीं करेगी। समझौते में इस तरह का कोई वादा नहीं है। गनी ने कहा कि सात दिवसीय आंशिक युद्ध विराम जारी रहेगा, लेकिन उन्होंने अमेरिका-तालिबान समझौते के उस अहम अंश को खारिज कर दिया, जिसमें हजारों तालिबान कैदियों को रिहा करने की बात है।
उन्होंने अफगानिस्तान में विदेशी सेना के प्रभारी अमेरिकी कमांडर का जिक्र करते हुए कहा, ‘जनरल (स्कॉट) मिलर ने तालिबान को यह करने के लिए कहा है। हाल ही में अफगानिस्तान चुनाव आयोग ने बताया की, 50.64 प्रतिशत वोट प्राप्त करने वाले अशरफ गनी को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति बनाया जाये। इसके साथ ही अशरफ गनी ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति के तौर पर अपना दूसरा कार्यकाल संभाल लिया हैं।
राष्ट्रपति बनते ही अशरफ गनी का बड़ा बयान- अफगानिस्तान राष्ट्रपति ही अशरफ गनी ने काबुल में संवाददाता सम्मेलन में कहा की, 'अफगानिस्तान के लोगों की सेवा के लिए ईश्वर उन्हें ताकत दे...मैं भी इबादत करता हूं कि हमारे देश में अमन-चैन हो। साथ ही उन्होंने भारत को लेकर कहा की, हिंदुस्तान को भले ही अमरीका के साथ जो समझोता करना हो वो करे।
लेकिन एक बात रहे की, अमेरिका ने अब्दुल्ला के सहयोगी और ताकतवर नेता मौजूदा उप राष्ट्रपति अब्दुल राशिद दोस्तम के बीच प्रतिद्वंद्वियों के बीच सत्ता को लेकर समझौता कराया था। बता दे की, अशरफ गनी को चुनाव में 50.64 फीसदी वोट मिले जबकि अब्दुल्ला को सिर्फ 39.52 फीसदी वोट मिले।