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पिछले पांच सालों ने काफी कुछ सिखाया: अब्दुल्ला

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 27 2022 3:58PM | Updated Date: Jan 27 2022 3:58PM
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रामपुर। फर्जी दस्तावेजों के आरोप में जेल जा चुके समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अब्दुल्ला आजम ने कहा है कि जेल में गुजरे दो साल ही नहीं बल्कि पिछले पांच सालों में मिले कटु अनुभवों ने उन्हे जीवन में बहुत कुछ सिखाया है। अब्दुल्ला आजम ने गुरूवार को यूनीवार्ता से बातचीत में मौजूदा विधानसभा चुनाव में आजम खान की मौजूदगी नहीं होने के सवाल पर कहा कि रामपुर में कोई इंसान या शख्सियत चुनाव नहीं लड़ती बल्कि आम जनता चुनाव लड़ती है। पिछले 40 साल में आजम खान ने जो मुहिम शुरू की थी वह रामपुर में जिंदा है और लोगों के दिलों में काम कर रही है। आजम के नाम की मुहिम लोगों के दिलों में है। वही मुहिम यह चुनाव लड़ रही है जिसकी जीत निश्चित है।
 
जेल से जुड़े संस्मरण सुनाते हुये उन्होने कहा कि जेल की दुश्वारियों से वह दुखी नहीं हुए थे बल्कि जेल में बीमारी के दौरान जो पांच महीने आए थे, इसको लेकर वह गमगीन हुये और आंखों से आंसू छलके थे। वो इतना बुरा ख्वाब था कि एक शख्स को उसके इलाज तक से महरूम कर दिया गया। जेल में बीते दो सालों ने ही नहीं, बल्कि गुजरे हुए पांच सालों ने बहुत सिखाया। वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान स्वार-टांडा विधान सभा सीट से अब्दुल्ला आजम चुनाव लड़े थे और चुनाव में भारी मतों से विजयी हुए थे लेकिन फर्जी दस्तावेजों को लेकर उनका चुनाव में विवादों में आ गया था। चुनाव में दूसरे नबंर पर रहे नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने आरोप लगाया था कि चुनाव के समय अब्दुल्ला की उम्र 25 वर्ष से कम थी और उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए फर्जी कागजात दाखिल किये, साथ में फर्जी हलफनामा भी पेश किया। नवेद मियां द्वारा हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर 16 दिसंबर 2019 को सुनवाई करते हुए अब्दुल्ला आजम की स्वार सीट से विधायकी रद्द कर दी थी।
सपा के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन में आने वाली परेशानियों को लेकर उन्होने कहा कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है और पब्लिक डोमेन में इस पर बात करना अभी ठीक नहीं है। हालांकि न्यायालय ने उपचुनाव पर रोक लगाई थी। उन्होंने कहा कि उनका पैन कार्ड, पासपोर्ट, जन्म प्रमाणपत्र कुछ भी फर्जी नहीं है। अब्दुल्ला आजम ने कहा “ मेरा रिश्ता रामपुर के साथ बहन भाई,माँ बेटे और भाई-भाई का है। मेरा रिश्ता वोट के लेन-देन का नहीं है। रामपुर शहर और खास तौर से स्वार की जनता ने सियासी लिहाज से उन्हें बहुत नवाजा है। इसलिए चुनाव प्रचार के दौरान मैनेज करने का सवाल ही नहीं उठता। मैं रामपुर के लोगों के बीच पला बढ़ा हूं। यह जिला हमारा घर है।” सपा नेताओं के जमीन पर प्रचार थमने के सवाल पर उन्होंने कहा “पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव डोर टू डोर कैम्पेन से बच नहीं रहे है बल्कि डोर टू डोर कैंपेन करने जा रहे हैं। प्रर के लिये हमारे साथ जनता है, जबकि भाजपा के साथ उनकी गाड़ियाें का काफिला है। उनके साथ 200-300 लोग हैं, जबकि हमारे साथ पांच से छठा व्यक्ति भी आ जाये तो पुलिस डण्डा बजाती है। अखिलेश जी निकलेंगे तो मुकदमा कायम होगा। पहले चरण के लोगों को ढील मिली है तो उम्मीद है यहां भी आसानी होगी।”
 
तमंचा वादी,पाकिस्तान परस्त और मुजफ्फरनगर में नाहिद हसन की सपा से उम्मीदवारी पर उठ रहे सवालों के जवाब में उन्होने कहा कि इससे बड़े सवाल आज देश प्रदेश के सामने हैं कि चुनाव मुद्दों पर हों। किसानों की आय, इंसाफ की बात की जाये, लखीमपुर में किसानों को क्या इंसाफ मिला। लोगों को रोजगार मिला या नहीं। कोविड के दौर में ऑक्सीजन मिली या नहीं , गंगा में लाशों का जवाब दे सरकार। अगर सरकार, भाजपा इसका जवाब दे तो ज्यादा बेहतर होगा। देश को अमन की जरूरत है, न कि नफरत की। इससे कुछ हासिल नहीं होने वाला। इसकी जरूरत नहीं है। देश अमन पसंद, मोहब्बत पंसद तरक्की याफ्ता प्रदेश हो। सपा नेता ने कहा कि लोगों के समर्थन और उत्साह को देख कर लगता है कि सपा की ऐतिहासिक जीत होगी। एक ऐसी जीत जिसका किसी ने अंदाजा नहीं लगाया होगा। समाजवादी पार्टी की लहर है और जनता की लहर है और भाजपा के खिलाफ जनता का गुस्सा है।
 
अपने पिता आजम खां से मिलते जुलते हावभाव के सवाल पर उन्होने कहा “ आजम खां इमरजेन्सी में मुझसे भी कम उम्र में जेल गये थे। उस वक्त घोषित इमरजेंसी थी जबकि आज अघोषित इमरजेंसी हैं। ऐसी इमरजेंसी जिसका जिक्र लोग इस लिए नहीं करते ताकि उन्हें जेल न भेज दिया जाये। मैंने अपने बुरे वक्त से जो सीखा वह लोगों की खिदमत करने में काम आये। यही कोशिश बनी रहेगी।” विधानसभा चुनाव में नवाब खानदान से जुड़े उम्मीदवारों से मुकाबले के सवाल पर उन्होने कहा “ यह अंग्रेजों के वफादार थे जिसके चलते इन्हें अंग्रेजों ने उपाधियाें से नवाजा। नवाबो की वफादारी की वजह से उनकी कुर्सी मलिका ए विक्टोरिया के बराबर पड़ा करती थी। ऐसे अंग्रेजों के एजेन्टों की हमारे देश में कोई जगह नहीं है। अंग्रेजों के साथ मिलकर देश से गद्दारी के एवज में मिली नवाबों की सम्पत्ति सरकार को सीज करनी चाहिए। रामपुर में मिली इस सम्पत्ति को सरकारी संस्थान सरकारी सम्पत्ति बनाने के लिए मूवमेंट चलाया जायेगा। अब राजशाही नवाबी या राजतंत्र नहीं है जनता का तंत्र चलेगा।”

 

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