कानपुर। देशभर में एक महीने पहले तक कोरोनावायरस के बढ़ते केसों के बीच जीवनरक्षक दवाओं के लिए मारामारी मची थी। सबसे बुरा हाल उन लोगों का था, जिन्हें अपने परिजनों के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन लाना था। इस दवा की ब्लैक मार्केटिंग के चलते तब रेमडेसिविर मिलना भी मुश्किल था। अब उत्तर प्रदेश के कानपुर में रेमडेसिविर की कमी के पीछे एक अस्पताल प्रशासन की ही मिलीभगत सामने आई है। बताया गया है कि कानपुर के हैलट अस्पताल में कोविड वॉर्ड में तैनात नर्सिंग स्टाफ ने मुर्दों के नाम पर कई दिनों तक रेमडेसिविर इंजेक्शन स्टोर से निकलवाए और जिनको असल में इस इंजेक्शन की जरूरत थी, उन्हें ये मिले तक नहीं। नर्सिंग स्टाफ आमतौर पर रेमडेसिविर इंजेक्शन डॉक्टरों की ओर से पर्चे जारी करवा कर निकलवाता है। लेकिन न्यूरो साइंसेज विभाग की जांच में सामने आया कि रेमडेसिविर के कई इंजेक्शन मृत मरीजों के नाम पर स्टोर से लिए गए। यानी किसी कोरोना मरीज की मौत के बाद भी उसके नाम पर रेमडेसिविर अलॉट होते रहे। अब इस फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद मामले में कई बड़े नामों के उजागर होने की आशंका जताई गई है।