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भाजपा की गलत नीतीयों के चलते शिक्षा के क्षेत्र में फैल रही है अव्यवस्था: अखिलेश

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 11 2020 7:08PM | Updated Date: Jul 11 2020 7:09PM
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लखनऊ। समाजवादी पार्टी(सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) सरकार की गलत नीतियों के चलते शिक्षा क्षेत्र में अव्यवस्था फैल रही है। यादव ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि स्कूल-कॉलेज कोरोना संकट के कारण बंद हैं। ऑनलाइन पढ़ाई पटरी पर नहीं आ पाई है। गरीब परिवारों के बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं है, तमाम स्थानों खासकर देहातों में नेटवर्क की समस्या बनी रहती है।
 
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की गलत नीतियों के चलते शिक्षा क्षेत्र में अव्यवस्था फैल रही है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई सिर्फ सम्पन्न परिवारों के लिए हो रही है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के छात्रों के साथ भी सरकार का सौतेल व्यवहार हो रहा है। सरकार ने स्कूल कॉलेज तो बंद करा दिए लेकिन उनमें कार्यरत शिक्षकों तथा अन्य कर्मचारियों की जिन्दगी कैसे चलेगी, इसकी चिंता नहीं की।
 
विद्यालय प्रबन्धन पर विद्यालय बंदी के समय की फीस भी न लेने का दबाव बना। ऐसी स्थिति में जो अभिभावक फीस देने में सक्षम थे, वे भी फीस नहीं जमा कर रहे हैं। नतीजतन 10 लाख से ज्यादा प्राइवेट कॉलेजों के शिक्षक वेतन के अभाव में भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। यादव ने कहा कि आज  स्थिति यह है कि कुछ प्राईवेट विद्यालयों ने मार्च-अप्रैल का वेतन दे दिया, आगे वेतन देने से हाथ रोक लिए है, वहीं कई विद्यालयों के शिक्षकों को मार्च का वेतन भी नहीं मिला है।
 
जो अपने शिक्षण कार्य से आजीविका चला रहे थे उनके सामने गम्भीर संकट पैदा हो गया है। बेकारी और भूख से बहुत से शिक्षक अवसादग्रस्त हो गए हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा के प्रति भाजपा सरकार में यदि तनिक भी सम्मान का भाव होता तो वह प्राइवेट मान्यता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षक अनुमोदन के हिसाब से सरकार न्यूनतम वेतन का सहयोग कर देती।
 
इससे सुविधानुसार शिक्षक ऑनलाइन कक्षाएं ले सकते और अभिभावकों पर भी फीस का भार कुछ कम हो जाता। इसमें शिक्षक, अभिभावक और विद्यालय प्रबन्धन सभी के हित पूरे हो जाते। सपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार की भेदभावपूर्ण और दलित विरोधी नीतियों के शिकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के छात्र-छात्राएं भी हो रही हैं।
 
प्रतिवर्ष उत्तर प्रदेश शासन द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के छात्र-छात्राओं की शुल्क प्रतिपूर्ति छात्रवृत्ति के रूप में भेजी जाती है जिससे उनकी पढ़ाई में सुविधा होती है। लेकिन अब भाजपा सरकार ने साजिश के तहत शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं भेज रही है जिससे प्रदेश के तमाम कॉलेज प्रबन्धक अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के छात्र-छात्राओं को परीक्षा देने से वंचित करने की तैयारी में हैं और अंक तालिका भी नहीं दे रहे हैं। दलित समाज में इससे भारी आक्रोश है।
 
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