नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार में पिछले एक महीने से गिरावट आ रही है। इसके पीछे मुख्य वजह एफआईआई यानी विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली को बताया जा रहा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये बिकवाली का दौर अगले महीने भी जारी रह सकता है। हालांकि, नए साल में एफआईआई के लौटने की उम्मीद है। 19 अक्टूबर को सेंसेक्स ने 62261 का उच्चतम स्तर छुआ था। तब से अब बाजार में गिरावट का दौर जारी है। ये गिरकर 58680 के स्तर पर आ गया है। इस दौरान सेंसेक्स में 3581 अंक की गिरावट आई है। सेबी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, विदेशी निवेशकों ने नवंबर में 17900 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। वहीं, मौजूदा फाइनेंशियल ईयर यानी 1 अप्रैल से अब तक 87000 करोड़ रुपये भारतीय शेयर बाजार से निकाले है। वहीं, घरेलू निवेशकों ने नवंबर में 13000 करोड़ रुपये की खरीदारी की है। जबकि, इस वित्त वर्ष में 69000 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे है। शेयर बाजार से जुड़े एक्सपर्ट्स ने बताया कि विदेशी निवेशकों के भारत से पैसे निकालने की बड़ी वजह अमेरिका है। उन्होंने बताया कि अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने कोरोना से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए राहत पैकेज दिया था। इस पैकेज के तहत सीधे रकम आम लोगों को मिली। उस समय कई और कदम अर्थव्यवस्था के लिए उठाए गए थे। अब उन राहत कदमों को वापस लेने की तैयारी है। इसमें से एक है ब्याज दर पर फैसला। अगले महीने अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ा सकता है। ऐसे में भारतीय बाजार पैसा लगाने के लिए ज्यादा फायदेमंद नहीं रहेंगे। अमेरिकी डॉलर में तेजी आएगी। इससे रुपये में कमजोरी बढ़ेगी। इसीलिए निवेशक फिर से अमेरिकी बाजारों की ओर लौट रहे है। बेंचमार्क यूएस 10 साल के ट्रेजरी यील्ड में तेजी से वृद्धि हुई, जिससे यूएस और भारत के बीच यील्ड अंतर कम हो गया।
एस्कॉर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड आसिफ इकबाल ने बताया कि छोटे निवेशकों के पास ये खरीदारी का अच्छा मौका है। क्योंकि देश की आर्थिक ग्रोथ पटरी पर लौट आई है। आने वाले दिनों में इसके और बेहतर होने की उम्मीद है। लिहाजार बैंकिंग और फाइनेंशिय कंपनियों के शेयरों में पैसा लगाना सही फैसला होगा। भारत में पैसा लगाने वाले विदेशी निवेशकों में अमेरिका की 34 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके बाद मॉरीशस (11 फीसदी), सिंगापुर (8.8 फीसदी), लग्जमबर्ग (8.6 फीसदी), ब्रिटेने (5.3 फीसदी), आयरलैंड (4 फीसदी), कनाडा (3.4 फीसदी), जापान (2.8 फीसदी) और नॉर्वे व नीदरलैंड (2.4 फीसदी) का नंबर आता है। इन 10 देशों के पास भारतीय एफपीआई निवेश की 83 फीसदी हिस्सेदारी है। इक्विटी निवेश की बात करें, तो अमेरिका की 37 फीसदी है, जिसके बाद 11 फीसदी के साथ मॉरीशस का नंबर है। डेट निवेश में सिंगापुर (29 फीसदी) टॉप है और लग्जमबर्ग (11 फीसदी) दूसरे नबंर पर है।