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भारतीय कंपनियों का विदेश में प्रत्यक्ष निवेश जून में बढ़कर दोगुना हुआ, जानें कौनसी कंपनियां सबसे आगे

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 18 2021 9:46PM | Updated Date: Jul 18 2021 9:47PM
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मुंबई। भारतीय कंपनियों का विदेश में प्रत्यक्ष निवेश इस साल जून में बढ़कर 2.80 अरब डालर (20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा) हो गया। यह पिछले साल के मुकाबले दोगुना है। एक साल पहले इस दौरान यह आंकड़ा 1.39 अरब डालर (10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा) था। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, जून 2021 में कुल विदेशी निवेश में से 1.17 अरब डॉलर गारंटी, 1.21 अरब डालर कर्ज और 42.68 करोड़ डालर शेयर-पूंजी के रूप में रहा। आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान टाटा स्टील ने सिंगापुर में अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी में एक अरब डालर का निवेश किया। विप्रो ने अमेरिका में अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई में 78.75 करोड़ डालर और टाटा पावर ने मारीशस में अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई में 13.12 करोड़ डालर का निवेश किया।

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सिंगापुर में कृषि और खनन आधारित डब्ल्यूओएस में 5.6 करोड़ डालर, इंटरग्लोब एंटरप्राइजेज ने ब्रिटेन में संयुक्त उद्यम में 5.15 करोड़ डालर, ओएनजीसी विदेश लिमिटेड ने मोजाम्बिक में संयुक्त उद्यम में 4.83 करोड़ डालर तथा पहाड़पुर कूलिंग टावर्स ने सिंगापुर में अपनी पूर्ण स्वमित्व वाली अनुषंगी में 4.8 करोड़ डालर का निवेश किया। इसके अलावा टाटा कम्युनिकेशंस ने सिंगापुर में डब्ल्यूओएस में पांच करोड़ डालर, ओएनजीसी विदेश लिमिटेड ने रूस में संयुक्त उद्यम में 4.87 करोड़ डालर तथा डब्ल्यूएनएस ग्लोबल सर्विसेज ने नीदरलैंड में संयुक्त उद्यम में 4.5 करोड़ डालर का निवेश किया।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों एफपीआइ ने जुलाई के पहले पखवाड़े में भारतीय शेयर बाजारों से 4,515 करोड़ रुपये निकाले हैं। इस दौरान भारतीय बाजार के प्रति एफपीआइ का रुख सतर्कता भरा रहा है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी निवेशकों ने एक से 16 जुलाई के दौरान शेयरों से 4,515 करोड़ रुपये की निकासी की। इस दौरान उन्होंने बांड बाजार में 3,033 करोड़ रुपये डाले भी हैं। इस तरह की उनकी शुद्ध निकासी 1,482 करोड़ रुपये रही। जून में एफपीआइ ने भारतीय बाजारों में 13,269 करोड़ रुपये डाले थे। मार्निग स्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर (मैनेजर रिसर्च) हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, 'इस समय बाजार अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर है। ऐसे में एफपीआइ ने मुनाफा काटने का विकल्प चुना है। ऊंचे मूल्यांकन की वजह से भी वे अधिक निवेश नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा महामारी की संभावित तीसरी लहर के जोखिमों को लेकर भी वे सतर्क हैं।'

उन्होंने कहा कि डालर में लगातार मजबूती तथा अमेरिका में बांड पर प्राप्ति बढ़ने की संभावना भारत जैसे उभरते बाजारों में पूंजी प्रवाह की दृष्टि से अच्छी खबर नहीं है। हालांकि इसको लेकर तत्काल चिंता करने की जरूरत नहीं है। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा कि 2021 में अभी तक एफपीआइ की गतिविधियां काफी उतार-चढ़ाव वाली रही हैं। अप्रैल और मई में भी एफपीआइ ने भारतीय बाजारों से शुद्ध रूप से निकासी की थी। मई और अप्रैल में विदेशी निवेशकों ने क्रमश: 2,666 करोड़ और 9,435 करोड़ रुपये निकाल थे।

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