बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए गए हैं, ऐसा करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बन गया है. सरकार की ओर से जो आंकड़े जारी किए गए हैं, उस हिसाब से पिछले 12 साल में राज्य की आबादी में तकरीबन 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, इस लिहाज से प्रदेश की जातियों के आंकड़े में भी इजाफा हुआ है, लेकिन चौंकाने वाली बात है कि सवर्णों की जनसंख्या में गिरावट हुई है. 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में सवर्ण 17 प्रतिशत थे, लेकिन सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक इनकी संख्या 15.52 फीसदी ही रह गई है. बिहार सरकार की ओर से सोमवार को प्रभारी मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह की ओर से जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी किए गए. इसके मुताबिक अब बिहार की आबादी 13 करोड़ सात लाख 25 हजार 310 हो गई है. नई जनगणना के मुताबिक राज्य में सर्वाधिक संख्या अति पिछड़ा वर्ग की है, यह आंकड़ा तकरीबन 36 प्रतिशत है, जबकि 27 प्रतिशत के साथ ओबीसी दूसरे नंबर पर है.
बिहार में 2011 में हुई जनगणना के आंकड़ों से तुलना की जाए तो नए आंकड़ों के हिसाब से बिहार की आबादी में तकरीबन 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. आंकड़ों के लिहाज से अब बिहार की आबादी 13 करोड़, 7 लाख 25 हजार 310 हो गई है, जबकि 2011 में यह महज 10 करोड़ 40 लाख 99 हजार 452 थी. इसके अलावा नए आंकड़ों के हिसाब से बिहार में तकरीबन 82 प्रतिशत हिंदू और 17.7 फीसदी मुसलमान हैं, जबकि 2011 की जनगणना के मुताबिक हिंदू जनसंख्या 82.7 प्रतिशत और मुस्लिम आबादी 16.9 प्रतिशत थी. बिहार सरकार की ओर से जारी ताजा आंकड़े के लिहाज से बिहार में 19.5 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 1.68 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति, 15.52 प्रतिशत सामान्य वर्ग की आबादी है. 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य की कुल आबादी में 15.9 फीसदी आबादी एससी की थी और एससीएसटी का आंकड़ा महज 1.3 फीसदी था.
बिहार की सरकार की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के हिसाब से बिहार राज्य में सवर्णों की संख्या में कमी आई है. 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में सवर्णों की संख्या तकरीबन 17 प्रतिशत थी, लेकिन इस बार ये घटकर 15.52 रह गई. आंकड़ों के लिहाज से देखें तो 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में सवर्णों में आने वाले भूमिहार 4.7 प्रतिशत, ब्राह्रण 5.7 प्रतिशत, राजपूत 5.2 प्रतिशत और कायस्थ 1.5 प्रतिशत थे, जबकि ताजा आंकड़ों में भूमिहार 2.89 प्रतिशत, राजपूत 3.45 प्रतिशत, ब्राह्रण 3.86 प्रतिशत और कायस्थ महज 0.60 प्रतिशत रह गए हैं. सवर्णों में शामिल अन्य जातियों का प्रतिशत 4.72 प्रतिशत है.
बिहार में सरकार ने सबसे पहले 2019 में जातीय जनगणना कराए जाने का प्रस्ताव पारित किया था. पिछले साल मई में सर्वदलीय बैठक के बाद इसे दोबारा सर्वसम्मति से पारित किया गया और दो चरण में इसे पूरा कराने का निर्णय लिया गया. सरकार ने जातीय जनगणना को कई बिंदुओं को ध्यान में रखकर तैयार किया. इनमें शैक्षणिक योग्यता, आवासीय स्थिति, आवास भूमि, मोटन वाहन की उपलब्धता, कृषि भूमि व मासिक आय के स्रोत शामिल किए. जनगणना का पहला फेज 7 जनवरी से शुरू किया गया था जो 21 जनवरी 2023 को पूरा हुआ. इसमें मकानों की गिनती की गई. इसके बाद 15 अप्रैल 2023 से 15 मई तक दूसरा फेज चला, जिसमें अन्य जानकारियां जुटाई गईं.