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कृषि लाभप्रद हो व किसानों के जीवन स्तर में बदलाव आए: तोमर

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 27 2022 5:19PM | Updated Date: Jan 27 2022 5:19PM
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नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने गुरुवार को कहा कि हमारा उद्देश्य एक ही है कि कृषि उन्नत और लाभप्रद हो, उत्पादकता बढ़े व किसानों के जीवन स्तर में बदलाव आएं, जिसके लिए नई ईजाद किस्मों का उपयोग भी राज्यों को योजनाबद्ध तरीके से करना चाहिए। ग्रीष्मकालीन अभियान के लिए राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन तोमर की अध्यक्षता में हुआ। इसमें तोमर ने कहा कि ग्रीष्मकालीन फसलें न केवल अतिरिक्त आय प्रदान करती हैं बल्कि रबी से खरीफ तक किसानों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करती हैं और फसल की तीव्रता में भी वृद्धि होती है। सरकार ने दलहन, तिलहन व पोषक-अनाज जैसी ग्रीष्मकालीन फसलों की खेती के लिए विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये नई पहल की है।
 
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारे देश की विविध भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियां है, जिन्हें ध्यान में रखते हुए ग्रीष्म ऋतु की फसलें ज्यादा से ज्यादा ली जाना चाहिए। ये किसानों को कम लागत तथा कम समय में अतिरिक्त आमदनी देने वाली होती है, राज्यों और किसानों के सहयोग से जायद फसलों का रकबा बढ़ रहा है। किसानों के सहयोग व सरकारी प्रयासों से चावल सहित जायद फसलों का रकबा 2017-18 में 29.71 लाख हेक्टेयर से 2.7 गुना बढ़कर 2020-21 में 80.46 लाख हेक्टेयर हो गया है।
 
तोमर ने कहा कि देश में कृषि व किसान कल्याण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है और राज्यों के साथ पूरी गंभीरता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहेगी। उन्होंने कहा कि गत सीजन में उवर्रकों के मामले में कुछ जगह एकाएक परिस्थितियां पैदा हुई और कुछ लोगों ने अनावश्यक तूल दिया पर केंद्र और राज्य सरकारें पहले से सजग थी, इसलिए सबने मिलकर सूझबूझ से समस्या पर नियंत्रण पाने में सफलता हासिल की। कृषि मंत्री ने कहा कि देश को जितने फर्टिलाइजर की आवश्यकता थी, वह पूरी मात्रा केंद्र सरकार ने उपलब्ध कराने का भरपूर प्रयत्न किया है, आगामी सीजन के लिए भी राज्य सरकारें आवश्यक कार्यवाही कर एडवांस में पर्याप्त उर्वरक ले लें। किसानों को फर्टिलाइजर की कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है। सम्मेलन में उर्वरक सचिव यह बात स्पष्ट कर चुके हैं।
 
तोमर ने फर्टिलाइजर के अन्य विकल्पों का अधिकाधिक उपयोग करने पर जोर देते हुए कहा कि केमिकल फर्टिलाइजर का इस्तेमाल कम होना चाहिए, जिसके लिए एडवांस प्लानिंग की जरूरत है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोविड की विषम परिस्थितियों के बावजूद किसानों ने अथक परिश्रम किया, जिससे वर्ष 2020-21 में 3086.47 लाख टन खाद्यान्न (चौथे अग्रिम अनुमान अऩुसार) का उत्पादन हुआ, जो एक सर्वकालिक रिकॉर्ड है। दलहन व तिलहन का उत्पादन क्रमश: 257.19 और 361.01 लाख टन के अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। कपास का उत्पादन 353.84 लाख गांठ होने का अनुमान है जिसके कारण भारत का विश्व में पहले स्थान पर पहुंचना तय है। उत्पादन और उत्पादकता के मोर्चे पर, बागवानी क्षेत्र ने पारंपरिक खाद्यान्न फसलों से भी बेहतर प्रदर्शन किया है।
 
उन्होंने प्राकृतिक खेती पद्धति अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने इस पर फोकस किया है। उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्रों के साथ योजनाबद्ध ढंग से लक्ष्य तय करते हुए निचले स्तर तक किसानों को ट्रेनिंग देने की भी बात कही। उन्होंने, प्रधानमंत्री की संकल्पना के अनुसार, किसानों के डाटाबेस को पूर्ण करने में राज्यों से विशेष रूचि लेने का आग्रह किया, ताकि इससे किसान लाभान्वित हों। सम्मेलन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि तिलहन व दलहन उत्पादन बढ़ाने और इन दो जिंसों में देश को आत्मनिर्भर बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं को पूरी तरह से निचले स्तर तक किसानों के बीच पहुंचाकर उन्हें ज्यादा से ज्यादा लाभ दिया जाएं।
 
कृषि सचिव संजय अग्रवाल और डेयर के सचिव एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्र ने भी अपने विचार रखे। केंद्रीय मंत्रालयों व सभी राज्यों के कृषि विभाग के अधिकारियों ने वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से सम्मेलन में भाग लिया। इस अवसर पर एक पुस्तक का विमोचन भी किया गया। जायद सम्मेलन का उद्देश्य पूर्ववर्ती फसल मौसमों के दौरान फसल के प्रदर्शन की समीक्षा और मूल्यांकन करना तथा राज्य सरकारों के परामर्श से गर्मी के मौसम के लिए फसलवार लक्ष्य निर्धारित करना है। ग्रीष्म 2021-22 के लिए दलहन-तिलहन व पोषक-अनाज के लिए राष्ट्रीय, राज्यवार लक्ष्य निर्धारित किए गए थे। सम्मेलन में बताया गया कि 2020-21 में इन फसलों के तहत 40.85 लाख हेक्टेयर की तुलना में 2021-22 के दौरान 52.72 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया जाएगा। कुल 21.05 लाख हेक्टेयर क्षेत्र दलहन और 13.78 तथा 17.89 लाख हेक्टेयर क्षेत्र क्रमश: तिलहन और पोषक-अनाज के तहत लाया जाएगा।

 

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