नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला संसद भवन के सेंट्रल हॉल में लोक लेखा समिति (पीएसी) के शताब्दी वर्ष समारोह के एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि संसदीय समितियों को पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग करना चाहिए। साथ ही कहा कि PAC के कार्यकरण को बेहतर बनाने के लिए आवश्यकता है कि संसद और राज्यों की PAC की एक समिति गठित की जाए। ये समिति विस्तृत अध्ययन के बाद जो रिपोर्ट दे, उस पर पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में चर्चा कर सुधार किए जाएंगे। इससे हम वित्तीय अनुशासन में अभिवृद्धि कर सकेंगे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि योजनाओं के लिए जो धन आवंटित होता है, वो विकास के साथ आमजन के जीवन में सामाजिक-आर्थिक बदलाव भी लाता है। योजनाओं का लाभ पारदर्शिता और निष्पक्षता से हर वर्ग तक पहुंचे, आवंटित धन में अंतिम पैसे तक का हिसाब मिले इसकी समीक्षा की जिम्मेदारी PAC की है। आजादी के बाद इन 75 सालों में देश और राज्यों का बजट बढ़ा है। इससे PAC की प्रासंगिकता, दायित्व और कार्य भी बढ़ा है।
संसद के शीतकालीन सत्र शुरू होने से कुछ दिन पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा था कि सदन में बढ़ती अनुशासनहीनता, व्यवधान, हंगामे की बढ़ती प्रवृत्ति को हमें रोकना पड़ेगा और जनप्रतिनिधियों में स्व-अनुशासन का विकास करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सभी राजनीतिक दलों के साथ चर्चा करनी होगी। ओम बिरला की अध्यक्षता में अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण और उस पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान व्यवधान नहीं किया जाएगा।हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में पीठासीन अधिकारी सम्मेलन को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि जनता की बढ़ती आशाएं और आकांक्षाएं विधान मंडलों के माध्यम से ही पूरी हो सकती है और सदन के माध्यम से ही सरकार की जवाबदेही तय हो सकती है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को जनता की आकांक्षाओं की पूर्ति करने के लिए प्रेरित करना हमारा पुनीत कर्तव्य है तथा सदन की गरिमा और मर्यादा को बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है।