जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने रविवार को कहा कि 23 जुलाई को भारत-पाक सीमा पर एक ड्रोन का इस्तेमाल कर गिराए गए इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) जम्मू क्षेत्र के भीड़-भाड़ वाले बाजार में ट्रिगर करने के लिए था और यह दर्शाता है कि पाकिस्तान फरवरी में किए गए संघर्ष विराम समझौता के बाद भी अलग अलग आतंकी समूहों को सप्लाई लाइन के जरिए मदद पहुंचा रहा है.
1987 बैच के IPS अधिकारी दिलबाग सिंह ने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे आतंकी समूह हथियारों और गोला-बारूद की कमी से जूझ रहे हैं. उन्होंने यहां पीटीआई-भाषा से कहा कि गम देखते आ रहे हैं कि पाकिस्तान में कुछ सरकारी तत्वों ने पिछले साल सितंबर से ही आतंकवादी समूहों की मांगों को पूरा करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. यहां तक की हथियार, गोला-बारूद और नकदी गिराने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि पुलिस ने 23 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर जम्मू क्षेत्र के कनाचक इलाके में पाकिस्तान से आए एक हेक्साकॉप्टर को मार गिराने में कामयाबी हासिल की थी. उन्होंने कहा कि हेक्साकॉप्टर में पांच किलो वजन का एक IED था, जो इस्तेमाल के लिए लगभग तैयार था और खुफिया सूत्रों के अनुसार ये डिवाइस जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी समूह जम्मू में भीड़-भाड़ वाली जगह पर अधिकतम हताहत करने के लिए इसे ट्रिगर करना चाहता था.
पुलिस प्रमुख ने कहा कि इस साल फरवरी से नियंत्रण रेखा और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर संघर्ष विराम समझौते के बावजूद, कुछ “राज्य के अभिनेता” जम्मू-कश्मीर में सक्रिय पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों की मदद कर रहे हैं, उनकी सप्लाई चेन को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हें हथियार, गोला बारूद और नकदी पहुंचा रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने खुलासा किया कि 23 जुलाई को गिराए गए ड्रोन और जम्मू क्षेत्र के कठुआ के हीरानगर सेक्टर में एक साल पहले गिराए गए ड्रोन के फ्लाइट कंट्रोलर सीरियल नंबर में सिंगल डिजिट का अंतर था.