नैनीताल। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद प्रदेश की हाई पावर कमेटी की ओर से उत्तराखंड की जेलों में बंद सजायाफ्ता एवं विचाराधीन बंदियों को छोड़ने के आदेश दे दिये गये हैं। पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान छोड़े गये बंदियों को ही इस बार भी छोड़ने का निर्णय लिया गया है। हाई पावर कमेटी के सदस्य सचिव एवं जिला जज आरके खुल्बे की ओर से बताया गया कि कमेटी की शनिवार को सम्पन्न बैठक में यह निर्णय लिया गया है।
उन्होंने बताया कि जिन बंदियों को पिछले वर्ष कोरोना महामारी के दौरान छोड़ा गया, उन्हीं को इस बार भी पेरोल पर छोड़ने का निर्णय किया गया है। शीर्ष न्यायालय के निर्णय के अनुसार सभी को 90 दिन का पेराल दिया जायेगा। कमेटी की ओर से सभी जिलाधिकारियों एवं पुलिस प्रमुखों को भी निर्देश दिये गये हैं कि बंदियों को छोड़ने के मामले में कोविड-19 गाइड लाइन का पालन सुनिश्चित किया जाये। साथ ही कहा गया है कि सभी बंदियों को छोड़ने से पहले उनकी कोरोना जांच की जाये।
यहां बता दें कि एससी की ओर से कोरोना महामारी को देखते हुए विगत सात मई को सभी प्रदेशों की हाई पावर कमेटी को बंदियों को छोड़ने के लिये निर्देशित किया गया था। कमेटी के पदेन अध्यक्ष उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष एवं उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी हैं जबकि प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह पदेन सदस्य हैं। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय की ओर से एक जनहित याचिका के जवाब में कमेटी को दो सप्ताह के अंदर बैठक कर बंदियों को छोड़ने के मामले में निर्णय लेने के निर्देश दिये गये थे। पिछले साल कमेटी की ओर से 705 बंदियों को छोड़ने के लिये चयनित किया गया था जिनमें से 699 को पेराल दिया गया था।